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अल्पसंख्यकों की प्रताड़ना से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान, पेशावर में सिख हकीम की हुई हत्या

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर प्रताड़ना का दौर लगातार जारी है। आये दिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को बड़ी बेरहमी से मार दिया जाता है। पाकिस्तान में यह कोई सामाजिक अपराध नहीं है बल्कि यह प्रताड़ना शासन के दिशानिर्देशों पर सुनियोजित तरीके से की जाती है।

हाल ही में खबर आई है कि पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में एक सिख हकीम की गोली मार कर हत्या कर दी गयी है। मृतक का नाम सतनाम सिंह बताया जा रहा है। हकीम सतनाम सिंह पेशावर के चरसदा रोड पर ‘धर्मेंद्र दवाखाना’ चलाता था। गुरुवार की शाम कुछ अज्ञात लोग अवैध रिवाल्वर लेकर हकीम की दुकान में घुस गए। हाथापाई होने के बाद इन्होने हकीम सतनाम सिंह को गोली मार दी।

खैबर पख्तूनख्वा से पलायन के बाद आया था पेशावर

पेशावर के सिखों ने ऐसे तत्वों पर लगाम लगाने के अलावा पाकिस्तान सरकार से सुरक्षा की मांग की है। उनका आरोप यह भी है कि सरकार ही उन पर लगातार हमला करा रही है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता रादेश सिंह टोनी ने कहा कि कुछ अज्ञात तत्वों ने सतनाम की गोली मारकर हत्या कर दी।

सतनाम एक हकीम था। वह खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) प्रांत की ओरकाजई एजेंसी के टीरा आदिवासी समुदाय से सम्बन्ध रखता था। वह ,मूल रूप से अफगानिस्तान के जलालाबाद का रहने वाला था। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावर गुरुवार दोपहर उनकी दुकान में घुसे और चार बार फायरिंग की। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया। सतनाम खैबर पख्तूनख्वा पर सिख समुदाय पर हमले के बाद परिवार समेत पेशावर चला गया था।

इससे पहले, 22 अप्रैल, 2016 को केपीके प्रमुख परवेज खान खट्टक के सलाहकार डॉ स्वर्ण सिंह सहित सिखों की एक दर्जन से अधिक हत्याएं हुई थीं। रादेश ने कहा, “हमें डर है कि सिख समुदाय के सदस्यों की लक्षित हत्या पड़ोसी अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता के साथ बढ़ सकती है क्योंकि वे पहले वहां समुदाय को निशाना बना रहे थे।”

पाकिस्तान सरकार प्रायोजित होती है लक्षित हत्या

पाकिस्तान के एक सामाजिक कार्यकर्ता रादेश सिंह टोनी ने इसे सरकार प्रायोजित लक्षित हत्या बताया है। आज से पहले भी कई बार कभी ईशनिंदा के नाम पर, जबरन धर्मांतरण को लेकर और ऑनर किलिंग आदि मुद्दों को लेकर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की लक्षित हत्या की जाती है।

हाल ही में पकिस्तान में एक मदरसे के पुस्तकालय में 8 वर्षीय हिन्दू समुदाय के एक लड़के ने टॉयलेट कर दिया था। जिसके बाद स्थानीय पुलिस ने लड़के को ईशनिंदा का आरोप लगते हुए गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद लड़के को लाहौर कोर्ट ने जमानत भी दे दी थी। फिर कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उसके घर पर हमला कर दिया जिसके बाद लड़के के परिवार को वहां से पलायन करन पड़ा था।

आरोपियों पर कोई कार्यवाही भी नहीं की गयी। यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी तमाम अनावश्यक और तर्कहीन आरोप लगाकर पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों को लक्ष्य बनाकर प्रताड़ना से पलायन के लिए मजबूर किया जाता है।