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अर्णब ने योगी आदित्यनाथ को कहा था-अनपढ़, पागल, अब सीएम ने गिरफ्तारी पर दिया ये जवाब

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी (Arnab Goswami) की गिरफ्तारी का सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हो रहा है. वहीं उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बिहार की एक रैली में अर्णब गोस्वामी को बड़ा पत्रकार बताते हुए उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया है. हैरानी वाली बात ये है कि, जिन सीएम योगी को अर्णब ने एक टीवी शो में अनपढ़ और पागल बता दिया था वही सीएम योगी अब अर्णब की गिरफ्तारी पर विरोध जता रहे हैं. इसका एक वीडियो समाजवादी पार्दी के प्रवक्ता पवन पांडे ने किया है और कहा- ‘क्या से क्या हो गया देखते-देखते.’ इस वीडियो में सीएम योगी के भाषण के अंश के साथ अर्णब की बात का भी अंश लगाया गया है.

कांग्रेस घोट रही लोकतंत्र का गला
सीएम योही ने बिहार की एक रैली में अपने भाषण में कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह लोकतंत्र का गला घोट रही है. उन्होंने सन् 1975 के इमरजेंसी के वक्त को याद करते हुए कहा कि ‘जिस तरह कांग्रेस ने 1975 में आपातकाल लगाया था और आज वो कांग्रेस अपने स्वार्थ के लिए देश के एक बड़े पत्रकार को गिरफ्तार करके लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला करने का कार्य कर रही है.’

क्या बोले थे अर्णब?
सपा पार्टी के प्रवक्ता द्वारा शेयर की गई वीडियो में सीएम के भाषण के बाद अर्णब के टीवी शो का अंश लगा है. जिसमें अर्णब ये कहते दिखाई दे रहे हैं कि, ‘योगी आदित्यनाथ तो ऐसे व्यक्ति हैं, जिनको धर्म के बारे में कुछ पता ही नहीं है. ऐसे अनपढ़ व्यक्ति हैं कि किसी को कहना चाहिए आप अपना मेंटल बैलेंस चेक करवाइए.’

 

खुदकुशी के मामले में गिरफ्तार
बता दें, बुधवार को पत्रकार अर्णब गोस्वामी को अलीबाग पुलिस ने उनके घर से हिरासत में लिया था. अर्णब पर 2018 में खुदकुशी के लिए उकसाने के एक मामले में आरोप लगा है और इसी मामले पर वह जेल में बंद है. मगर अर्णब के प्रशंसकों का कहना है कि जिस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है वह मामला काफी पहले बंद हो चुका था. अर्णब की गिरफ्तारी पर सोशल मीडिया भी दो गुटों में बंट गया है और भारतीय जनता पार्टी भी जमकर उनका समर्थन कर रही है.
बिहार विधानसभा चुनाव की रैलियों में बीजेपी नेता ने अर्णब की गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला बताया है. वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस पूरी घटना की तुलना आपातकाल से की और कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने लोकतंत्र को शर्मसार किया है. जबकि महाराष्ट्र सरकार के मुलाजिमों का कहना है कि पुलिस सिर्फ कानूनी प्रक्रिया पूरी कर रही है और कानून से बड़ा कुछ नहीं.