हस्तरेखा शास्त्र के द्वारा व्यक्ति के विवाह के योग और विवाह की स्थिति का आकलन होता है। हाथों में विभिन्न प्रकार की लकीरें व्यक्ति के जीवन से जुड़े तमाम विषयों जैसे धन-दौलत, आयु, मान-सम्मान, नौकरी संबंधिक तमाम बातों को दर्शाती हैं, जिसमें से विवाह व्यक्ति के जीवन का अहम हिस्सा होता है। मनुष्य अपने वैवाहिक जीवन को लेकर काफी उत्साहित रहता है।
अधिकतर लोगों की जिज्ञासा होती है कि विवाह के बाद उसका जीवन कैसा रहेगा, हस्तरेखा के अनुसार व्यक्ति की हथेली में विवाह संबंधित रेखा यानी मैरिज लाइन के द्वारा वैवाहिक जीवन से संबंधित बातें जान सकते हैं। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हाथ की छोटी उंगली यानी कनिष्ठिका के नीचे बुध पर्वत पर हथेली के बाहर की ओर से आने वाली रेखा को विवाह की रेखा कहते हैं। कुछ लोगों की हथेली में इस स्थान पर एक से अधिक रेखाएं होती हैं।
हस्त रेखा के नियमों के आधार पर विवाह रेखा कटी नहीं होनी चाहिए, बल्कि समान रूप से स्पष्ट होनी चाहिए।यदि रेखा कटी हो तो उसमें कहीं न कहीं कोई और चिन्ह बन जाता है जिससे उसका मतलब भी बदल जाता है। विवाह रेखा स्पष्ट और गहराई वाली शुभ मानी जाती है। स्पष्ट विवाह रेखा वाले व्यक्तियों का वैवाहिक जीवन खूबसूरत होता है। यदि टूटी हुई या अधिक रखाओं के साथ मिली विवाह रेखा होती है तो दाम्पत्य जीवन में अड़चन आती है।
जिन लोगों के हाथ में विवाह रेखा हृदय रेखा के समीप होती है उनकी शादी 20 साल की उम्र के लगभग हो जाती है। यदि ये विवाह रेखा छोटी हो और हृदय रेखा के मध्य में हो तो 22 वर्ष के आस-पास की उम्र में विवाह होने के योग होते हैं। यदि एक से अधिक छोटी-छोटी विवाह रेखाएं हाथ में दिखाई देती हैं तो वे प्रेम संबंधों को दर्शाती हैं।