सोनिया गांधी ने कहा, हम विशाल प्रयासों से ही बदलाव ला सकते हैं, हमे निजी अपेक्षा को संगठन की जरूरतों के अधीन रखना होगा. पार्टी ने बहुत दिया है. अब कर्ज उतारने की जरूरत है. एक बार फिर से साहस का परिचय देने की जरूरत है. हर संगठन को जीवित रहने के लिए परिवर्तन लाने की जरूरत होती है. हमें सुधारों की सख्त जरुरत है. ये सबसे बुनयादी मुद्दा है.
सोनिया गांधी ने कहा, अब तक यह पूरी तरह से और दर्दनाक रूप से स्पष्ट हो गया है कि पीएम मोदी और उनके सहयोगियों का वास्तव में उनके नारे ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ से क्या मतलब है? इसका अर्थ है कि देश को ध्रुवीकरण की स्थायी स्थिति में रखना, लोगों को लगातार भय और असुरक्षा की स्थिति में रहने के लिए मजबूर करना, अल्पसंख्यकों को शातिर तरीके से निशाना बनाना और उन पर अत्याचार करना जो हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं और हमारे देश के समान नागरिक हैं.
सोनिया गांधी ने चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए कहा, भाजपा-RSS की नीतियों की वजह से देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसपर विचार करने के लिए ये शिविर एक बहुत अच्छा अवसर है. ये देश के मुद्दों पर चिंतन और पार्टी के सामने समस्याओं पर आत्मचिंतन दोनों ही है. सोनिया गांधी ने कहा, कांग्रेस में ढांचागत सुधार की बहुत जरूरत है. राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का तीन दिन का चिंतन शिविर आज से शुरू हो रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के देशभर के 400 बड़े नेता इसमें शामिल हुए हैं. सोनिया गांधी ने चिंतन शिविर के पहले दिन कांग्रेस नेताओं को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा. सोनिया गांधी ने कहा, मौजूदा केंद्र सरकार नफरत फैला कर अल्पसंख्यकों को दबा रही है.