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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: उच्च न्यायालयों में जजों की कमी, CJI एनवी रमन्ना ने 68 नामों की सिफारिश

देश के उच्च न्यायालयों में जजों की कमी के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला लिया. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना (NV Ramana) की अगुवाई वाली बेंच ने 12 उच्च न्यायालयों में पदोन्नति के लिए 68 नामों की सिफारिश की है. जजों के नामों को लेकर कॉलेजियम की 25 अगस्त और 1 सितंबर को बैठक हुई थी. खास बात यह है कि जज बनाए जाने के लिए सिफारिश किए गए नामों में 10 महिलाएं भी शामिल हैं. चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एम खानविलकर की तीन सदस्यीय कॉलेजियम की तरफ से 12 हाईकोर्ट के लिए जजों के नामों की सिफारिश की गई है. इनमें इलाहाबाद, राजस्थान, कलकत्ता, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, मद्रास, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा, केरल, छत्तीसगढ़ और असम का नाम शामिल है. अगस्त और सितंबर की शुरुआत में हुई दो बैठकों में कॉलेजियम ने 112 उम्मीदवारों के नाम पर विचार किया था.

इनमें 88 बार से थे और 31 न्यायिक सेवा के थे. 12 उच्च न्यायालयों के लिए सिफारिश नामों में से 44 बार से हैं, जबकि 24 न्यायिक सेवाओं में से हैं. अनुसूचित जनजाति से आने वाली महिला न्यायिक अधिकारी मार्ली वांकुंग के नाम की सिफारिश गुवाहाटी हाई कोर्ट के जज के लिए की गई है. मिजोरम से हाईकोर्ट की पहली महिला जज होंगी. साथ ही कॉलेजियम ने विचार किए गए नामों में शामिल 16 उम्मीदवारों के बारे में और जानकारी मांगी है.

17 अगस्त को कॉलेजियम ने तेलंगाना हाईकोर्ट के लिए 7 नामों की सिफारिश की थी. उसी दिन सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट बेंच में पदोन्नति के लिए 9 नामों की सिफारिश थी. इन 9 नामों को सरकार की तरफ से तत्काल मंजूरी मिल गई थी. इस हफ्ते चीफ जस्टिस ने एक बार में 9 जजों को शपथ दिलाई थी. इसके साथ ही जस्टिस बीवी नागरत्ना ने भी शपथ ली थी. नागरत्ना देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं. नए जजों के शामिल होते ही सुप्रीम कोर्ट बेंच की संख्या 33 हो गई थी.