प्रत्येक महीने भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित प्रदोष व्रत 2 बार आता है। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) को बेहद अहम माना गया है, उस पर भी यह किसी खास दिन पड़े तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत शनिवार, 4 सितंबर यानी आज है। शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) के दिन भगवान शिव की पूजा करने से शिव जी तो बहुत खुश होते ही हैं, साथ ही शनि दोष (Shani Dosh) का प्रभाव भी खत्म होता है। आज कुंभ, मकर, धनु, मिथुन और तुला राशि के जातकों को शनि दोष से बचने के लिए शिव जी की ध्यान से पूजा करनी चाहिए क्योंकि इन राशियों पर शनि की साढ़े साती (Shani ki Sade Sati) या ढैय्या (Shani Ki Dhaiya) चल रही है।
इस काल में करें पूजा
शनि प्रदोष के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ शनि देव की पूजा जरूर करें। यह पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में करनी चाहिए। बता दें प्रदोष काल हमेशा सूर्यास्त होने से 45 मिनट पहले से शुरू होता है। आज शाम को 2 घंटा 11 मिनट तक ही प्रदोष काल रहने वाला है।
ऐसे करें व्रत-पूजा
जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं उन्हें प्रदोष काल के पहले ही पूजा की तैयारी कर लेनी चाहिए। सबसे पहले पूजा के लिए चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करके दीपक जलाएं। भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजें फूल, अक्षत, धतूरा आदि चढ़ाएं। वहीं माता पार्वती को 16 श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। फिर भगवान को भोग लगाएं, धूप-दीप जलाकर आरती करें। अंत में व्रत-पूजा में हुई गलतियों की क्षमा मांगकर भगवान से प्रार्थना करें। वहीं मंदिर जाकर शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाकर उनसे कृपा करने की मन से प्रार्थना जरूर करें।