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शरद पवार का फैसला विपक्षी एकता के लिए फायदेमंद, अजीत को भी मिला सीधा संदेश

सियासत में मराठा सरदार के नाम से मशहूर शरद पवार (Sharad Pawar) अपनी पीढ़ी के सबसे माहिर राजनीतिक खिलाड़ियों में से एक हैं। पवार कब, कहां और किस वक्त अपना दांव खेलेंगे, इसका अंदाजा शायद ही कोई लगा पाए। इस बार भी ऐसा ही हुआ, शरद पवार ने एक सियासी गुगली फेंकते हुए महाराष्ट्र (Maharashtra) से दिल्ली तक की राजनीति (Politics) में सनसनी मचा दी।

मुंबई में मंगलवार को अपनी आत्मकथा विमोचन के दौरान शरद पवार ने एनसीपी अध्यक्ष पद से हटने का ऐलान कर दिया। पर इसके साथ उन्होंने यह साफ कर दिया कि वह सार्वजनिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहे हैं। राजनीतिक जानकार उनकी इस घोषणा को पार्टी के अंदर चल रही वर्चस्व की लड़ाई में उनके इक्के के तौर पर देख रहे हैं।

उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा ऐसे वक्त की है, जब इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि अजित पवार भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं। ऐसे में पवार ने गुगली फेंककर अजित को यह संदेश दे दिया है कि पार्टी पूरी तरह उनके साथ है। हालांकि एनसीपी के कई नेता मानते हैं कि वह पवार को अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए मना लेंगे।

एनसीपी प्रमुख की राजनीति धुर भाजपा विरोधी रही है। उन्होंने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी, लेकिन 2004 में भाजपा को रोकने के लिए सोनिया गांधी को समर्थन दिया। साल 2019 में भाजपा के विरोध में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को लेकर महाविकास अघाड़ी का गठन किया था। ऐसे में पवार अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर अड़े रहते हैं, तो इसका असर केंद्रीय राजनीति खासकर विपक्षी एकता की कोशिशों पर भी पड़ेगा। पार्टी की जिम्मेदारियों से मुक्त होकर वह विपक्षी एकता के लिए ज्यादा वक्त दे सकते हैं।

नया अध्यक्ष चुनना आसान नहीं
पवार के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अगर अजित पवार पार्टी तोड़ते तो इससे पार्टी पर उनकी पकड़ पर सवाल उठते। विपक्षी खेमे में भी उनका दबदबा कमजोर होता। लिहाजा उन्होंने पहले ही इस्तीफे की पेशकश कर दी। अगर शरद पवार अपना इस्तीफा वापस नहीं लेते हैं, तो पार्टी का नया अध्यक्ष चुनना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि पद के कई दावेदार हैं।

अजित पवार ने मंगलवार को ही यह कहते हुए अपनी महत्वकांक्षा जाहिर कर दी। उन्होंने शरद पवार के सामने ही कहा कि एनसीपी नेता बार-बार उनसे फैसला लेने का आग्रह न करे। शरद पवार हमारा मार्ग दर्शन करते रहे हैं। उन्होंने सुप्रिया सुले को भी कुछ बोलने की सलाह देते हुए कहा कि वह उनके बड़े भाई हैं, इसलिए उन्हें यह सलाह दे रहे हैं।

कई दावेदार
एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि शरद पवार पद पर बने रहने के लिए तैयार नहीं होते हैं, तो अजित पवार, सप्रिया सुले, जयंत पाटिल और दलीप वलसे पाटिल सहित कई नाम पर विचार किया जा सकता। अजित विधायक दल के नेता है। भाजपा से उनकी नजदीकी भी कई बार जाहिर हुई हैं। यह पार्टी अध्यक्ष पद की दावेदारी कमजोर करती हैं।

सुप्रिया सुले लोकसभा सांसद हैं। वह शरद पवार की बेटी हैं। विपक्षी नेताओं सहित पार्टी की तमाम अहम बैठकों में वह मौजूद रहती हैं। पार्टी नेताओं की सहानुभूति भी उन्हें मिल सकती है। जयंत पाटिल पवार के भरोसेमंद माने जाते हैं। महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष हैं और उनकी पहचान जमीनी स्तर के नेता के तौर पर है। ऐसे चयन आसान नहीं है।

सुप्रिया ने सियासी धमाके की भविष्यवाणी की थी
करीब दो सप्ताह पहले लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा था कि अगले 15 दिनों में दो बड़े सियासी धमाके होंगे। इनमें से एक दिल्ली और दूसरा महाराष्ट्र की राजनीति में होगा। शरद पवार के अचानक पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के ऐलान को सुले की भविष्यवाणी से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में अब सभी को दिल्ली में कथित सियासी धमाके का इंतजार है।