विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Harshvardhan Shringla) ने शनिवार को कहा कि अमेरिकी नेतृत्व से मुलाकात से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभी बैठकों में इस चिंता को स्वत: मान्यता मिली कि पाकिस्तान सीमापार से आतंकवाद का समर्थन करता है और पोषित भी करता है। इसमें अफगानिस्तान में और वहां से आतंकवाद का समर्थन और पोषण शामिल है। उन्होंने प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा को बेहद सफल और व्यापक बताया। संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nation General Assembly, UNGA) के 76वें सत्र में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के बाद श्रृंगला ने कहा, ‘वहां ऐसी भी भावना थी कि हालात की बेहद सावधानी से निगरानी करने की जरूरत है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि पाकिस्तान अपने दायित्वों को पूरा करे। उसका बुनियादी दायित्व है कि वह किसी भी तरह ऐसा कोई काम न करे जो उसके प़़डोसियों या दुनिया के किसी अन्य देश के खिलाफ हो।’ उन्होंने कहा कि यह भावना द्विपक्षीय संयुक्त बयान और क्वाड देशों की शिखर बैठक के संयुक्त बयान में भी परिलक्षित होती है।
प्रधानमंत्री के महासभा में संबोधन का उल्लेख करते हुए श्रृंगला ने कहा कि उनके संबोधन का जोर इस बात पर रहा कि आतंकवाद का हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह दोधारी तलवार है। विदेश सचिव ने आगे कहा, ‘क्वाड के अंदर निश्चित तौर पर इस बात की भावना थी.. यह क्वाड की ओर से जारी संयुक्त बयान में भी है कि अफगानिस्तान उच्च प्राथमिकता है।’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषषद के 2593 प्रस्ताव में अफगानिस्तान के संदर्भ में कुछ बुनियादी जरूरतें बताई गई हैं। जब तक ये जरूरतें पूर्ण या आंशिक रूप से पूरी नहीं होतीं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इंतजार करो और देखो की स्थिति जारी रखेगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सात साल से अधिक के कार्यकाल में चौथी बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। उनके भाषण में तीन मुद्दों पर महासभा में मौजूद नेताओं ने तालियां बजाईं। जब उन्होंने भारत में लोकतंत्र की मजबूती का जिक्र करते हुए अपना उदाहरण दिया। जब उन्होंने कोरोना वैक्सीन का जिक्र करते हुए दुनियाभर के वैक्सीन निर्माताओं को आमंत्रित किया और अंतत: जब उन्होंने अफगानिस्तान के हालात का जिक्र किया।