अप्रैल के रिटेल महंगाई दर के आंकड़े नहीं आएंगे क्योंकि लॉकडाउन के चलते इसको मापने में मदद करने वाले आंकड़ों का कलेक्शन नहीं हो पाया. सरकार ने मंगलवार को अप्रैल महीने का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर का आंकड़ा जारी नहीं किया. इसका कारण कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ है. इससे अधिकारी विभिन्न केंद्रों से कीमत आंकड़ा एकत्रित नहीं कर पाये.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि इस बार सिर्फ सीपीआई के जो आंकड़े टेलीफोन पर एकत्रित किये जा सके उन्हें जारी किया गया है. टेलीफोन के जरिये एकत्रित आंकड़ों से पता चलता है कि दूध उत्पादों, फल और सब्जियों जैसे कुछ महत्वपूर्ण खाने-पीने के सामानों के दाम मार्च की तुलना में अप्रैल में बढ़े हैं.
हालांकि प्रेस रिलीज में कहा गया है कि अप्रैल महीने के लिये सामान्य सीपीआई और राज्य/केंद्र शसित प्रदेशों के स्तर पर सूचकांक जारी नहीं किया जा रहा है. सामान्य तौर पर कीमत आंकड़ा चयनित 1114 शहरी बाजारों और 1181 ग्रामीण क्षेत्रों से लिये जाते हैं. ये आंकड़े एनएसओ के ‘फील्ड ऑपरेशन इकाई’’ के कर्मचारी व्यक्तिगत रूप से जा कर साप्ताहिक आधार पर लेते हैं.
एहतियाती उपायों और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये देशव्यापी लॉकडाउन के कारण व्यक्तिगत रूप से जाकर आंकड़ा लेने का काम 19 मार्च 2020 से ही रोक दिया गया था.
इसी बीच, मार्च महीने की खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े को मामूली रूप से संशोधित कर 5.84 फीसदी किया गया जबकि पूर्व में इसके 5.91 फीसदी रहने की संभावना जतायी गई थी.
मार्च में खाद्य मंहगाई दर घटकर 8.76 फीसदी पर रही थी जो कि फरवरी के महीने में 10.81 फीसदी पर रही थी. सब्जियों की महंगाई दर में कमी आने के चलते ये आंकड़ा आया था.