केंद्रीय कैबिनेट में बड़े फेरबदल की तैयारियों के बीच उत्तर प्रदेश में सीएम योगी के कैबिनेट में भी बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। केन्द्रीय कैबिनेट से जहां संभावित चुनाव को साधने की कोशिश होगी वहीं प्रदेश के जातीय समीकरण को भी देखा जाएगा। माना जा रहा है कि जाति समीकरण संतुलित करने, सहयोगी पार्टियों को जगह देने और नाराज विधायकों को शांत करने के लिए अब योगी कैबिनेट में भी विस्तार होगा। योगी के कैबिनेट में कुछ ऐसे लोगों को शामिल किया जा सकता है जो असंतुष्ट हैं। इसके अलावा अगर गैर-विधायकों को मंत्रीपद दिया जाता है तो विधान परिषद की खाली हुईं चार सीटों को भी इस्तेमाल किया जा सकता है। चार एमएलसी के सम्भावितों के नाम तय हो गये हैं। ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश परिषद में अधिकतम 60 मंत्री हो सकते हैं।
मंत्री चेतन चैहान, कमल रानी वरुण और विजय कश्यप के निधन के बाद अब यूपी कैबिनेट में 6 मंत्रियों की जगह खाली है। कोरोना काल में इन मंत्रियों का निधन हो गया था। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश कैबिनेट को लेकर कोई भी फैसला केंद्रीय कैबिनेट में फेरबदल को देखते हुए ही किया जाएगा। अगर उत्तर प्रदेश के किसी जाति या सहयोगी पार्टी के समीकरण केंद्रीय कैबिनेट में फिट नहीं हो सकेंगे तो उसे यूपी कैबिनेट में जगह देने की कोशिश की जाएगी। केन्द्र में जगह नहीं मिलने पर उत्तर प्रदेश में संतुष्ट किया जाएगा।
उदाहरण के लिए माना जा रहा है कि अगर अपना दल-एस की अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्री नहीं बनाया जाता है तो उनके पति आशीष पटेल को यूपी कैबिनेट में जगह दी जाएगी। इसी तरह निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद भी राज्य कैबिनेट में शामिल होना चाहते हैं। निषाद जिस पिछड़ा समुदाय से आते हैं, वह उत्तर प्रदेश की आबादी में 20 फीसदी हिस्सेदारी रखता है।ज्ञात हो कि मोदी कैबिनेट में बुधवार को नए मंत्री शामिल किए जा सकते हैं। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए ही नए मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी जाएगी।