भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में विवादित गोगरा इलाक़े से अपने-अपने सैनिकों की वापसी कर ली है. हमारे जवान चीन की हर चालबाजी का जवाब देने के लिए मुस्तैद हैं. पिछले एक साल से अधिक समय से लद्दाख़ सरहद पर भारत और चीनी सेना युद्ध के मोर्चे पर तैनात हैं. लेह से 150 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख़ के चुशुल सरहद के नज़दीक न्योमा में भारतीय सेना के जवान चीनी सेना की हर हरकत पर कड़ी नज़र बनाए हुए हैं. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के फॉरवर्ड बेस पर नेगेव लाइट मशीन गन, टेवर-21 और एके-47 असॉल्ट राइफलों से लैस गरुड़ स्पेशल फोर्स के जवानों को तैनात किया गया है.
भले ही इस वक्त भारत और चीनी सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों की वापसी कर ली है, लेकिन भारतीय सेना के तेवर से साफ है कि वह किसी भी मोर्चे पर चीन के खिलाफ अपनी तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. न्योमा में सिंधु नदी के किनारे हजारों मील में फैली घाटी में भारतीय सेना के टी 90 टैंक भीष्म और बीएमपी चीन के खिलाफ हुंकार भर रहे हैं. जरूरत पड़ने पर कुछ ही मिनटों में ये टैंक चीन की सरहद में घुसकर उसके ठिकानों को नेस्तनाबूद कर सकते हैं.
पिछले एक साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में भारत ने दुनिया के सबसे अचूक टैंक माने जाने वाले टी-90 भीष्म टैंक को तैनात कर रखा है. इसकी तैनाती के साथ ही लद्दाख में इसे भारतीय सेना का सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है. टी-90 भीष्म टैंक में मिसाइल हमले को रोकने वाला कवच है. इसमें शक्तिशाली 1000 हॉर्स पावर का इंजन है. यह एक बार में 550 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम है. इसका वजन 48 टन है. यह दुनिया के हल्के टैंकों में एक है. यह दिन और रात में दुश्मन से लड़ने की क्षमता रखता है.
इसके साथ ही भारतीय सेना के हजारों सैनिक मुश्किल हालात में हर उस पहाड़ी और घाटी में मौजूद हैं, जहां से चीन घुसपैठ कर सकता है. गलवान की खूनी भिड़ंत के बाद से भारतीय सेना चीन को कोई मौका नहीं देना चाहती है.