यूं तो हिंदू धर्म में कई त्योहारों की बेहद खास मान्यता होती है लेकिन माघ पूर्णिमा का सनातन धर्म में खास महत्व है और इसका उल्लेख पौराणिक ग्रन्थों में भी किया गया है. पौराणिक कथाओं की मानें तो माघ पूर्णिमा पर देवता रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयागराज आते हैं. इस खास दिन पर कल्पवास करने लोग श्रद्धालु मां गंगा की विधिवत पूजा करते हैं और साधू, संतों व ब्राह्णणों को भोज कराते हैं. माना जाता है कि, माघ पूर्णिमा के दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ होता है. गंगा में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है. यही वजह है कि माघ पूर्णिमा पर गंगा में स्नान करने के लिए लाखों की तादाद में श्रद्धालु प्रयागराज, हरिद्वार पहुंचते हैं. इस बार माघ पूर्णिमा 27 फरवरी को है.
फाल्गुन की होगी शुरुआत
माघ माह की आखिरी पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है और पूर्णिमा के अगले दिन से ही फाल्गुन माह की शुरुआत हो जाती है. वैसे तो पूरे साल में 12 पूर्णिमा आती हैं लेकिन सबसे ज्यादा महत्व माघी पूर्णिमा का माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि पूरी श्रद्धा और विधि विधान से पूजा करने और दान करने से मनुष्य को पुण्य मिलता है.
शुभ मुहूर्त
26 फरवरी 2021 को शुक्रवार का दिन पड़ रहा है और माघ पूर्णिमा की शुरुआत शाम 03 बजकर 49 मिनट से होगी और 27 फरवरी शनिवार दोपहर 01 बजकर 46 मिनट के बाद समाप्त हो जाएगी. शुभ मुहूर्त में स्नान करने से व्यक्ति को फल की प्राप्ति होती है.
पौराणिक मान्यता की मानें तो माघी पूर्णिमा के दिन श्री हरि विष्णु और हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. इससे व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कहा जाता है कि जो व्यक्ति माघी पूर्णिमा का उपवास करता है और चंद्रमा की पूजा करता है. इससे व्यक्ति को दिमागी रूप से शांति मिलती है. मान्यता तो ये भी है कि इसी दिन से धरती पर कलयुग की शुरुआत हुई थी. इन्हीं मान्यताओं के चलते माघी पूर्णिमा अपने आप में बेहद खास और महत्वपूर्ण है.