तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आरोप लगाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार राज्य और इसके लोगों पर हिंदी को थोपना चाहती है लेकिन उनकी पार्टी डीएमके उनकी इस कोशिश का विरोध करती रहेगी। भाषा शहीदी दिवस के मौके पर आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए सीएम स्टालिन ने ये बातें कही। तमिलनाडु में हिंदी विरोधी विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों की जान गई थी, उन्हीं की याद में तमिलनाडु में भाषा शहीदी दिवस मनाया जाता है।
स्टालिन का आरोप है कि ‘हिंदी को थोपना भाजपा सरकार की आदत बन गई है। प्रशासन से लेकर शिक्षा तक वो सोचते हैं कि वह सत्ता में हिंदी थोपने के लिए ही आए हैं। एक देश, एक धर्म, एक चुनाव, एक एंट्रेस टेस्ट, एक तरह का खाना और एक संस्कृति की तरह वह अन्य संस्कृतियों और भाषाओं को तबाह करना चाहते हैं।’ डीएमके प्रमुख ने कहा कि ‘हिंदी थोपने के खिलाफ हमारा संघर्ष जारी रहेगा। भाजपा सरकार बेशर्मी से हिंदी थोपना चाह रही है।’
एमके स्टालिन ने कहा कि ‘सरकार हिंदी दिवस मनाती है लेकिन अन्य भाषाओं के साथ ऐसा नहीं करती है। तमिलनाडु सीएम ने सरकार पर अन्य भाषाओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। उन्होने कहा कि 2017 से 2020 के बीच केंद्र सरकार ने संस्कृत को प्रमोट करने के लिए 643 करोड़ रुपए खर्च किए थे लेकिन तमिल भाषा के लिए सिर्फ 23 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। हम किसी भाषा के दुश्मन नहीं हैं। हर कोई अपने फायदे के लिए किसी भी भाषा को सीख सकता है लेकिन हम किसी भी भाषा को थोपने के खिलाफ हैं।
स्टालिन ने राज्य के पूर्व सीएम सीएन अन्नादुरई के दो भाषाओं तमिल-अंग्रेजी के फार्मूले की तारीफ की और कहा कि इसी की वजह से राज्य के युवा दुनिया के कई देशों में सफल हैं। स्टालिन ने कहा कि जिन लोगों ने भाषा के लिए बलिदान दिया उनका बलिदान बेकार ना हो, इसके लिए ही अन्नादुरई ने यह प्रावधान किया था।