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दिल्ली में आज 8 देशों के NSA की ‘महाबैठक’, अफगानिस्तान में तालिबानी हूकुमत से पैदा हुईं चुनौतियों पर चर्चा, क्षेत्रीय सुरक्षा होगा मुद्दा

अफगानिस्तान में तालिबानी हूकुमत के आने के बाद पैदा हुईं चुनौतियों से निपटने के लिए 8 देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की आज दिल्ली में ‘महाबैठक’ होने जा रही है. इस बैठक की अध्यक्षता भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे. क्षेत्रीय सुरक्षा पर होने वाली एनएसए की इस बैठक से पहले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंगलवार को ताजिकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान के समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डोभाल ने उज्बेकिस्तान के सुरक्षा काउंसिल के सचिव विक्टर मख्मुदोव और ताजिकिस्तान के सुरक्षा परिषद के सचिव नसरुल्लो रहमतजोन महमूदजोदा के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता की जिसमें अफगानिस्तान के घटनाक्रम, अफगान धरती से आतंकवाद के संभावित खतरे और युद्ध से जर्जर देश में मानवीय संकट मुख्य मुद्दा रहा.

इस बैठक में डोभाल और ताजिकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान के उनके समकक्षों ने अफगानिस्तान पर विचारों का आदान-प्रदान किया और हाल के दिनों में अफगानिस्तान से आतंकवादी खतरों में तेज वृद्धि पर चिंता व्यक्त की. ताजिक एनएसए ने अफगानिस्तान में स्थिति की गंभीरता पर जोर दिया. यह बैठक ऐसे समय में हुई जब अफगानिस्तान के कई हिस्से भोजन की कमी से जूझ रहे हैं.

द्विपक्षीय बैठक में इन मुद्दों पर हुई चर्चा

इस बैठक में डिफेंस, बॉर्डर मैनेजमेंट और बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने पर चर्चा हुई. उज्बेकिस्तान के एनएसए विक्टर मखमुदोव के साथ हुई बैठक में अफगानिस्तान चर्चा का प्रमुख केंद्र था और दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि अफगानिस्तान के भविष्य का फैसला अफगानिस्तान के लोगों को खुद करना होगा. यहां सीधे-सीधे अफगानी शासन में पाकिस्तान की संलिप्तता की ओर इशारा किया गया.

डोभाल और ताजिकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान के उनके समकक्षों ने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान की नई सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने से पहले देश के भीतर स्वयं को वैध बनाने का प्रयास करना चाहिए. भारत इसे पहले भी हरी झंडी दिखा चुका है.

द्विपक्षीय बैठक में पाकिस्तान पर निशाना

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डोभाल और मख्मुदोव के बीच बातचीत के दौरान दोनों पक्षों को लगा कि अफगानिस्तान के भीतर किसी भी अफगान सरकार को वैधता मिलना, उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने से ज्यादा महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि दोनों शीर्ष अधिकारी पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए, इस बात पर भी राजी हुए कि पड़ोसी देश अफगानिस्तान में रचनात्मक भूमिका निभाएं और उन्होंने युद्ध से जर्जर देश में दीर्घकालिक आर्थिक विकास की जरुरत पर बल दिया.

सूत्रों ने बताया कि द्विपक्षीय बातचीत में डोभाल और महमूदजोदा ने अफगानिस्तान पर विस्तार से एक-दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान किया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी मख्मुदोव से भेंट की. उन्होंने ट्वीट किया, ‘उज्बेकिस्तान के सुरक्षा परिषद के सचिव विक्टर मख्मुदोव की मेजबानी करके अच्छा लगा. अफगानिस्तान पर विचारों के आदान-प्रदान का स्वागत है. हमारे द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की भी समीक्षा की.’

डोभाल करेंगे बैठक की अध्यक्षता

मख्मुदोव और महमूदजोदा अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में हिस्सा लेने दिल्ली आए हुए हैं. बुधवार को होने वाली इस वार्ता की अध्यक्षता डोभाल करेंगे. अफगानिस्तान पर तालिबान के पूर्ण नियंत्रण के बाद वहां से बढ़ रहे आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरों से निपटने के लिए ठोस सहयोग पर समान विचार बनाने के लक्ष्य से भारत इस वार्ता की मेजबानी कर रहा है.

इन मुद्दों पर होगी चर्चा

दिल्ली में होने वाली इस एनएसए की बैठक में अफगानिस्तान में तालिबानी हूकुमत के आने से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए ‘क्षेत्रीय सुरक्षा’ को मजबूत करने पर विचार होगा. इसमें मुख्य रूप से आतंकवाद, कट्टरता और उग्रवाद, सीमा पार आंदोलन, मादक पदार्थों की तस्करी और अमेरिका व उसके सहयोगियों द्वारा छोड़े गए हथियारों और उपकरणों का संभावित उपयोग के मुद्दे शामिल होंगे.

उम्मीद की जा रही है कि इन देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी संयुक्त रूप से मुलाकात करेंगे. आने वाले कुछ प्रतिनिधि दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए अमृतसर और आगरा भी जाएंगे.

बैठक में शामिल होंगे ये 8 देश

भारत, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में रूस, ईरान, कजाख्स्तान, किर्गिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं. डोभाल बुधवार को रूस और ईरान के एनएसए के साथ भी द्विपक्षीय बैठक करेंगे. इस वार्ता में हिस्सा लेने के लिए चीन को भी न्योता भेजा गया था लेकिन उसने पहले ही पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए शामिल होने से असमर्थता जताई है. पाकिस्तान भी इस वार्ता में शामिल नहीं हो रहा है.