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आरएसएस कार्यकर्ता पर जबरन धर्मांतरण का दबाव, दूसरे समुदाय के लोगों पर लगाया जमीन पर कब्जा करने का आरोप

मेरठ (Meerut News) जिले के खरखौदा में आरएसएस (RSS) कार्यकर्ता कुलदीप त्यागी उर्फ बबलू ने दूसरे समुदाय के लोगों पर जबरन धर्मांतरण (Conversion) का दबाव बनाने का आरोप लगाया है. ऐसा नहीं करने पर पलायन की धमकी दी जा रही है. पुलिस (Meerut Police) का कहना है कि कुलदीप त्यागी एक सरकारी जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं. लेखपाल ने भी इसकी जांच रिपोर्ट दी है. दूसरे समुदाय के लोग कब्जे का विरोध करते हैं. इसके चलते ऐसा आरोप लगाया गया है.

खरखौदा थाना इलाके के गोविंदपुर गांव में कुलदीप त्यागी उर्फ बबलू ने खुद को आरएसएस का कार्यकर्ता बताकर कहा है कि उनका गांव मुस्लिम बाहुल्य है. आरोप है कि 24 अक्टूबर की शाम सात बजे दूसरे समुदाय के लोग उनके घर में घुस आए और धमकी दी कि वो परिवार समेत धर्मांतरण कर लें या 15 दिन में गांव छोड़कर चला जाए.

जमीन कब्जे को लेकर है विवाद

आरोप है दूसरे समुदार के लोग उसकी जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं. अब कुलदीप त्यागी ने हत्या होने का अंदेशा जताया है. इंस्पक्टर संजय शर्मा ने कुलदीप से जानकारी ली है. आईपीएम सीओ किठौर, चंद्रकांत मीणा ने कहा कि थाने में समाधान दिवस लगता है. कुलदीप त्यागी ने इसकी शिकायत कभी नहीं की है. पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि सरकारी जमीन पर कब्जा करने को लेकर विवाद है.

युमना एक्सप्रेस-वे को दुर्घटना मुक्त बनाने का प्रयास

आईआरएफ यमुना एक्स्प्रेसवे को जानलेवा हादसों से मुक्त कर ‘फॉरगिविंग रोड’ बनाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है. ‘फॉरगिविंग रोड’ का आशय नवोन्मेषी तकनीकों के इस्तेमाल से किसी सड़क पर होने वाले हादसों को कम-से-कम करने से है. आईआरएफ की भारतीय इकाई ने एक बयान में कहा कि वह भारत में सड़कों के किनारे सुरक्षित गलियारे भी विकसित करेगा.

संस्था के मानद अध्यक्ष के के कपिला ने कहा कि भारत के सात राज्यों में मौजूद सात दुर्घटना-बहुल सड़कें इस अभियान के लिए चिह्नित की गई हैं. इनमें उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, केरल और कर्नाटक शामिल हैं. इस पहल के जरिए राजमार्गों के इन दुर्घटना-बहुल हिस्सों को राज्य सरकारों के साथ मिलकर फॉरगिविंग रोड के रूप में तब्दील करने की कोशिश की जाएगी. आईआरएफ के मुताबिक, ऐसा होने पर इन राजमार्ग खंडों पर होने वाले हादसों में कमी आने के साथ ही उनमें होने वाली मौतों का आंकड़ा भी करीब शून्य तक लाया जा सकेगा.