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केरल भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन पर लगा बड़ा आरोप, विधानसभा चुनाव के दौरान साथी पार्टी के नेता को पैसा पहुंचाया

केरल में कुछ ही महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को लेफ्ट गठबंधन यानी एलडीएफ की तरफ से करारी शिकस्त मिली। पार्टी का कोई भी कद्दावर उम्मीदवार जीत नहीं दर्ज कर सका। फिर चाहे वह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के. सुरेंद्रन रहे हों या मेट्रोमैन ई श्रीधरन। इस बीच भाजपा पर चुनाव में पैसों की ताकत के इस्तेमाल के आरोप लग रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल रही एक नेता ने दावा किया है कि उनकी पार्टी की प्रमुख और लोकप्रिय आदिवासी चेहरा सीके जानू ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के सुरेंद्रन से एनडीए में लौटने के लिए 10 करोड़ रुपए की मांग की थी और बाद में उन्हें 10 लाख रुपए पहुंचाए गए थे।

यह आरोप लगाए हैं जनाथिपथ्य राष्ट्रीय सभा (JRS) पार्टी की कोषाध्यक्ष प्रसीथा अझीकोड़ ने। उन्होंने इससे जुड़ा एक ऑडियो टेप भी जारी किया है। आरोप है कि यह के सुरेंद्रन और जेआरएफ चीफ सीके जानू के बीच 10 लाख रुपए के लेन-देन की बातचीत से जुड़ा कॉल था। हालांकि, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के दफ्तर की तरफ से इन आरोपों पर गुरुवार को बयान जारी करने की बात कही गई है। ऑडियो टेप में क्या कहते सुनाई दिए सुरेंद्रन?: प्रसीथा अझीकोड ने इससे जुड़ा जो ऑडियो वायरल किया है, उसमें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के. सुरेंद्रन की आवाज होने का दावा किया गया है। टेप में एक शख्स (जिनके सुरेंद्रन होने का दावा है) कहते हैं- “उन्हें 6 मार्च को आने दो। मैं उन्हें निजी तौर पर यह दे दूंगा। तुम भी आना…चुनाव के दौरान यह पैसों का लेन-देन…यह मुमकिन नहीं कि इसे इधर-उधर ले जाया जाए।” अझीकोड का कहना है कि जब जानू 6 मार्च को पैसे लेने के लिए तिरुवनंतपुरम गईं, तो वे उनके साथ ही थीं। हालांकि, गेस्ट हाउस में जब लेन-देन हुआ, तब वे साथ नहीं रहीं थीं।

जानू ने नकारे पैसों के लेन-देन के आरोप: उधर के सुरेंद्रन से पैसे लेने के आरोपों पर घिरीं सीके जानू ने ऑडियो टेप को नकार दिया और प्रसीथा अझीकोड़ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि प्रसीथा और बाकी पार्टी नेताओं के मुकाबले उनके भाजपा से ज्यादा अच्छे संबंध हैं। ऐसे में पैसे लेने में उन्हें किसी तीसरे आदमी (अझिकोड) की मदद की जरूरत क्यों पड़ेगी? जानू ने इन आरोपों के जवाब में कहा कि यह तो जांच में सामने आएगा कि कहीं प्रसीथा ने खुद मेरे नाम पर तो पैसे नहीं ऐंठ लिए। बता दें कि राज्य में आदिवासी आंदोलन का चेहरा रहीं सामाजिक कार्यकर्ता जानू राज्य में 6 अप्रैल को होने वाले चुनाव से एक महीने पहले यानी 7 मार्च को एनडीए में शामिल हो गई थीं।

2016 में भी एनडीए के साथ चुनाव लड़ चुकी थीं जानू: जानू ने 2016 में अपनी पार्टी जेआरएस उतारी थी। तब उनकी पार्टी ने एनडीए गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था। हालांकि, 2018 में उन्होंने गठबंधन से किनारा कर लिया। कहा जाता है कि वे सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) में शामिल होना चाहती थीं, लेकिन तब इसे लेकर कोई खास बातचीत नहीं हुई। फिलहाल ताजा आरोपों से राज्य में भाजपा को नुकसान हुआ है। खासकर ऐसे समय में जब केरल पुलिस थ्रिसुर के हाईवे पर हुई 3.5 करोड़ की चोरी के मामले में राज्य के भाजपा नेताओं से पूछताछ कर रही है। पुलिस को शक है कि यह पैसा अघोषित चुनावी फंड्स का हिस्सा थे। उधर प्रसीथा ने भी जानू को अपने वित्तीय लेन-देन की जांच कराने की चुनौती दे दी है। उन्होंने कहा कि जेआरएस में जानू को लेकर काफी तनाव है।