समुद्र में बढ़ती चीन की ताकत और उसके वर्चस्व को देखते हुए भारत ने भी अपनी तैयारी मजूबत कर ली है और नौसेना की ताकत में इजाफा करने के लिए भारत छह परमाणु शक्ति चलित पनडुब्बियों को नौसेना में शामिल करने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है। 8 मार्च यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने मुंबई में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन तकनीक का परीक्षण किया। इस परीक्षण को एक बड़ा कदम माना जा रहा है, क्योंकि यह तकनीक भारतीय पनडुब्बियों को समूद्र के भीतर और भी अधिक घातक बना देगा।
एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन तकनीक पनडुब्बी को पानी के नीचे अधिक समय तक रहने की इजाजत देता है और एक परमाणु पनडुब्बी की तुलना में इसे शांत रखते हुए उप-सतह (सब-सरफेस) के प्लेटफॉर्म को और अधिक घातक बनाता है। इसका मतलब है कि यह दुश्मनों को चकमा देने में सफल होगा। कलवरी क्लास की तीसरी पनडुब्बी करंज भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगी। अब इस एआईपी तकनीक को कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों में जोड़ा जाएगा। भारतीय नौसेना ने अब अपने सभी कलवरी क्लास के गैर-परमाणु अटैक को एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन में बदलने की योजना बनाई है।
माना जा रहा है कि 2023 तक यह काम पूरा हो जाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि इस परीक्षण को अलग से देखे जाने की बजाय नौसेना की समग्र क्षमता-निर्माण योजनाओं के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसमें छह परमाणु शक्ति चलित अटैक पनडुब्बियों विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी नौसेना की ताकत का मुकाबला करने के लिए भारत तैयार है। उनका कहना है कि इन योजनाओं को भारतीय नौसेना द्वारा चीन की नौसेना की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए एक ठोस कदम के रूप में भी देखा जाना चाहिए। चीनी नौसेना की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। युद्धपोत जहाजों की संख्या के मामले में चीन ने अमेरिकी नौसेना को पछाड़ दिया है, हालांकि क्षमता और टन भार के मामले में अमेरिका अब भी चीन से काफी आगे है।
पनडुब्बियों में वर्तमान में रूस से लीज पर लिया गया भारत के पास केवल एक अकुला क्लास एसएसएन है और एक 2025 से पहले लीज पर आने की उम्मीद है। विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय नौसेना की ताकत में इस साल बड़ा इजाफा होने वाला है और रक्षा मंत्रालय इसके लिए पूरी चुस्ता से जुटा हुआ है। एचटी को पता चला है कि पूर्वी लद्दाख में विघटन को लेकर बैठक के दौरान चीनी वार्ताकारों ने भारत से हिंद महासागर मेंनौसेना के खिलाफ भारतीय नौसेना के आक्रामक होने की शिकायत की। भारत की इस तत्परता और चौकन्ने रहने से चीन की नौसेना को सिर्फ अदन की खाड़ी के आसपास ही सीमित कर दिया है।
पूरे हिन्दमहासागर में कहीं और चीनी युद्धपोत की मौजूदगी नहीं है। चीन से तनातनी के बीच भारतीय नौसेना ने पूर्ण तैनाती की है। बताया जा रहा है कि या मरीन प्रोपल्शन तकनीक गैर-परमाणु पनडुब्बियों को वायुमंडलीय ऑक्सीजन तक पहुंच के बिना संचालित करने की अनुमति देती है और पनडुब्बियों के डीजल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम को बढ़ाती है। इसका मतलब है कि एआईपी फिटेड पनडुब्बी को अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए सतह पर नहीं होना पड़ता है और लंबे समय तक पानी के नीचे रहता है। एक ओर जहां न्यूक्लियर सबमरीन जहां शिप रिएक्टर की वजह से शोर मचाती हैं, वहीं एआईपी तकनीक से लैस पनडुब्बी एक घातक चुप्पी बनाए रखती है। यह नई तकनीक भारतीय सबमरीन को और भी ज्यादा घातक बनाएंगी।