हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Election 2022) में एक साथ होने हैं. देश में इस साल कुल 7 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने थे. जिनमें पांच राज्यों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं और 2 राज्यों में चुनाव होने बाकी हैं. इन विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है. हाल में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार हुई है. तो भाजपा ने चार राज्यों में फिर से सरकार दोहराई है. वहीं आम आदमी पार्टी ने पंजाब में कांग्रेस को बुरी तरीके से हराकर सरकार बनाई है. वहीं हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा कांग्रेस दोनों ही दल चुनावी तैयारियों में जुट चुके हैं.1985 के बाद हिमाचल प्रदेश में बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस सत्ता में रही हैं.
हिमाचल विधानसभा चुनाव में इस सियासी इलाके पर टिकी है सबकी नजर, यहां जो दल जीता वही बनता है सिकंदर
वही प्रदेश का कांगड़ा (Kangra District) का इलाका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है. इस क्षेत्र में 15 विधानसभा सीटें हैं और इनमें से जो दल सबसे ज्यादा सीटें जीता है वही सरकार बनाता है. 32 सालों से कांगड़ा ही सरकार के भविष्य का निर्धारण करता आ रहा है. इसी वजह से इस बार कांगड़ा को जीतने के लिए सभी दल अपनी ताकत लगा रहे हैं,
हिमाचल के कांगड़ा में जो दल जीता वही बना सिकंदर
हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं. जिनमें सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को 35 विधानसभा सीटों को जीतना होता है. प्रदेश की सत्ता में कांगड़ा का महत्वपूर्ण स्थान है. इस क्षेत्र में कुल 15 विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से जो दल यहां की सबसे ज्यादा सीटें जीतता है. उसी की ही सरकार बनाती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थी. तो वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में 15 में से 10 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. जबकि बीजेपी के हिस्से में तीन और निर्दलीयों ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की. 2009 के विधानसभा चुनाव में कांगड़ा की 15 सीटों में से भाजपा को 9 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
जबकि कांग्रेस ने महज 5 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी. वही एक चीज बसपा के खाते में गई. सबसे ज्यादा सीटें जीतने के चलते भाजपा ने सरकार बनाई. वहीं 2003 के विधानसभा चुनाव में भी कांगड़ा के 15 में से 11 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. जबकि भाजपा को 4 सीटों पर ही जीत मिली. इस तरह वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई. 1998 के विधानसभा चुनाव में कांगड़ा की 10 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की. जबकि कांग्रेस ने केवल 5 सीटों पर ही जीत दर्ज की. इस तरह भाजपा ने सरकार बनाई 1993 में कांगड़ा की 16 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि भाजपा को केवल 3 सीटों पर ही जीत हासिल हुई. इस तरह वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई.
कांगड़ा के गढ़ पर जीत को बेताब है दोनों पार्टियां
हिमाचल प्रदेश कांगड़ा जिले की 15 विधानसभा सीटों की बड़ी एहमियत है. 2022 विधानसभा चुनाव में कांगड़ा के गढ़ में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख दल अपनी कोशिशों में जुटे हुए हैं. कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी अकेले कांगड़ा में ही तीन चुनावी रैलियां कर चुके हैं. वहीं भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे कहीं पीछे नहीं दिख रहे हैं. कांगड़ा जिले की महत्ता इसी से पता चल जाती है. यही वजह है कि प्रदेश के दोनों प्रमुख दल भाजपा-कांग्रेस शुरू से ही इस जिले को सबसे अधिक महत्व देते आए हैं. वही कांगड़ा क्षेत्र की जनता बारी-बारी से यहां भाजपा और कांग्रेस को प्राथमिकता के आधार पर अहमियत देती रही है. जिसके कारण हर बार 5 साल में यह सरकार बदल जाती है.