झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि हर काम सरकार ही करेगी, ऐसा नहीं सोचना चाहिए, जनता को भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।
राज्यपाल ने बुधवार को राजभवन में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और न्यूज एजेंसी के संपादकों, ब्यूरो चीफ और उनके प्रतिनिधियों से बातचीत में कहा कि राजनीति में पूर्व में निस्वार्थ भाव से जनसेवा और समाजसेवा के लिए लोग आते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है, परंतु अब भी यदि निस्वार्थ भाव से कोई राजनेता काम करे, तो उसकी लोकप्रियता बनी रहती है। उन्होंने अपने चुनावी सफलता के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि गेट पर यदि किसी को रोका नहीं जाए और घर पहुंचने वाले की समस्या का समाधान हो जाता है और जनता ऐसा महसूस करने लगती है तो वह कभी अपने नेता का साथ नहीं छोड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि जीत के बाद वह भी पक्ष-विपक्ष सहित सभी की बातों को सुनते थे और उसका निराकरण करते थे। खुद फोन भी उठाते थे और बात करते थे। स्थानीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपनी जीत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे कठिन काम नगरपालिका का चुनाव होता है, यहां एक-एक व्यक्ति और परिवार की भावनाओं का ख्याल रखना पड़ता है।
बैस ने कहा कि मीडियाकर्मियों को भी कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दिया गया था, इसलिए कोरोना संक्रमण से निधन होने वाले मीडियाकर्मियों को भी मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने रांची के वीडियो जर्नलिस्ट बैजनाथ महतो के परिवार को भी सहयोग का भरोसा दिलाया।
राज्यपाल ने कहा कि जब वे रांची आये, तो उन्हें यह जानकारी मिली कि जेपीएससी में सदस्य के सभी पद रिक्त हैं, वर्ष 2008 के बाद कोई परीक्षाएं नहीं हुई है। लेक्चरर और प्रोफेसर के पद रिक्त हैं, मौजूदा समय में कॉलेजों में 40 प्रतिशत संख्या बल के आधार पर पठन-पाठन का काम हो रहा है। दुमका मेडिकल कॉलेज का भवन अब तक बन कर तैयार नहीं हुआ है, राज्य में जो तीन नये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना हुई है, उसमें एमसीआई की गाइडलाइन के अनुरूप डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति होनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि यदि इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। वे जब तक झारखंड में रहेंगे, तो राज्य के विकास को लेकर प्रयत्नशील रहेंगे। उन्होंने कहा कि झारखंड में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं, इसे बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है। पर्यटन का सर्किट बनने से राजस्व में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने स्वीकार किया कि झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता के कारण अपेक्षित विकास नहीं हो पाया।