श्रीलंका (Sri Lanka) के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Prime Minister Ranil Wickremesinghe) ने कहा कि चीन की तुलना में भारत (India) ने उनके देश की अधिक मदद (Economic Crisis) की, जबकि वे एक बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहे थे. जबरदस्त मुद्रास्फीति और इसके परिणामस्वरूप देश में उभरे विरोध-प्रदर्शन के बीच विक्रमसिंघे को श्रीलंका का प्रधानमंत्री बनाया गया था. श्रीलंका के पीएम ने बताया कि जब श्रीलंका की मदद करने की बात आई, तो चीन में बड़े पैमाने पर फैली लालफीताशाही ने रुकावट खड़ी की और इसीलिए उन्होंने भारत के साथ बातचीत पर अपना अधिक ध्यान केंद्रित किया.
विक्रमसिंघे ने WION के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “चीन ने कुछ तरीकों से मदद की, लेकिन बड़ी व्यवस्था नहीं हो सकी क्योंकि हमने भारत पर ध्यान केंद्रित किया था. मुझे नहीं लगता कि उस दौरान हमें चीन और जापान से बहुत कुछ मिल सकता था. हमने भारत पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया और यह कोलंबो की गलती नहीं है क्योंकि भारत पैसा लेकर आया था. और हम यही चाहते थे. सवाल यह है कि किसके यहां कम लालफीताशाही थी।”
‘पीएम मोदी से बात करूंगा और उन्हें धन्यवाद दूंगा’
उन्होंने आगे कहा, “मैं भारत के अन्य मंत्रियों से बात कर रहा हूं. पीएम (नरेंद्र) मोदी से भी बात करूंगा. वित्त और विदेश मंत्रियों के संपर्क में रहा हूं. संकट से पहले भी एस जयशंकर से बात कर चुका हूं, जब हम अबू धाबी में मिले थे. हमने वहां लंबी बातचीत की और मैंने उनसे कहा था कि संकट आएगा. पीएम मोदी से बात करूंगा और मदद के लिए उन्हें धन्यवाद दूंगा।”
‘मुझे नहीं लगता कि चीन ने श्रीलंका को धोखा दिया है’
भारत को अहमियत देते हुए विक्रमसिंघे ने यह भी बताने में देर नहीं की कि श्रीलंका सरकार यह नहीं मानती है कि चीन ने कठिन समय के दौरान उन्हें धोखा दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि वह चीन से दाता सम्मेलन (Donor Conference) के बारे में बात करेंगे जिसका उद्देश्य ‘श्रीलंका का पुनर्निर्माण और विकास’ है. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि चीन ने श्रीलंका को धोखा दिया है. खैर, मुझे लगता है कि वास्तव में हमें उनसे (चीन) बातचीत करनी चाहिए थी, लेकिन हमने नहीं किया. मुझे समझ नहीं आया कि हमने क्यों नहीं किया. हमने अभी एक अनुरोध किया है।”
दिवालिया होने की कगार पर है श्रीलंका
श्रीलंका फिलहाल गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और दिवालिया होने के कगार पर है. द्वीपीय देश में इस समय लोगों को भोजन, ईंधन, दवाओं और रसोई गैस से लेकर माचिस तक की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।