वो 16 मई 2022 का दिन था, जब दिल्ली में श्रद्धा वॉल्कर की हत्या (killing) को अंजाम दिया गया था और इस हत्या के ठीक 365 दिन बाद दिल्ली से 1583 किलोमीटर दूर हैदराबाद (Hyderabad) में ठीक वैसी ही एक और वारदात हुई. जहां 17 मई 2023 को कूड़े के ढेर से एक महिला (Woman) का कटा हुआ सिर बरामद हुआ. मौत के इस खौफनाक मगर अजीब सिलसिले पर यकीन करना मुश्किल है. लेकिन तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से श्रद्धा मर्डर केस के ठीक एक साल बाद जो कहानी सामने आई है, उसने लोगों को दहला दिया है.
श्रद्धा मर्डर केस की नकल
मौत की ये कहानी बिल्कुल किसी क्राइम सीन को रिक्रिएट करने की तर्ज पर ऐसे दोहरा दी गई है, मानों क़ातिल ने कत्ल करने से लेकर लाश निपटाने तक की हरेक करतूत सिर्फ और सिर्फ श्रद्धा मर्डर केस को देखकर ही कॉपी की हो. इस कहानी की शुरुआत होती है 17 मई 2023 की सुबह के ठीक 7 बजकर 34 मिनट पर.
पॉलीथिन में पैक था महिला का कटा सिर
शहर के तिगालागुडा रोड पर नगर निगम के कुछ कर्मचारी रोज़ाना की तरह सड़क किनारे मौजूद डंपिग ग्राउंड में साफ-सफाई का काम देख रहे थे. तभी सुधाकर नाम के एक कर्मचारी की नजर एक काली पॉलीथिन पर पड़ी, जिसे काफी टाइट तरीके से पैक किया गया था. सुधाकर ने वो काली पॉलीथिन खोल दी और इसके बाद उसने जो कुछ देखा, उसे शायद वो ताउम्र कभी नहीं भूल पाएगा. पॉलीथिन खोलते ही सुधाकर के मुंह से चीख निकल गई और वो पैकेट को दूर फेंकते हुए पीछे हट गया. इस पॉलीथिन में कुछ और नहीं बल्कि एक इंसानी सिर था. जी हां, एक महिला का कटा हुआ सिर.
पुलिस ने खंगाली 450 CCTV कैमरों की फुटेज
देखते ही देखते ये खबर जंगल में आग की तरह फैली और अगले कुछ मिनटों में शहर की मलकापेट थाने की पुलिस मौका-ए-वारदात पर मौजूद थी. पुलिस ने कटा हुआ सिर बरामद कर उसे फॉरेंसिक जांच के लिए भिजवा दिया और इसके साथ कत्ल और सिर कटी लाश की इस पहेली को सुलझाने की कोशिश शुरू कर दी. पुलिस ने इस जांच में राज्य के सभी 735 थानों को शामिल किया. 450 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और 250 से ज्यादा गुमशुदा महिलाओं के बारे में जानकारी जुटाने की कवायद शुरू कर दी और फिर हफ्ते भर का वक्त गुजरते-गुजरते इस कटे सिर से जुड़ी जो कहानी सामने आई, उसने हर किसी को दहला दिया.
अनुराधा रेड्डी का था कटा हुआ सिर
मामले की जांच में जुटी हैदराबाद पुलिस के लिए मारी गई महिला की पहचान पता करना सबसे पहली चुनौती थी और इसके लिए पुलिस पहले ही दिन से महा-अभियान चला रही थी. इस सिलसिले में पुलिस ने अपने ही डिपार्टमेंट के उस व्हाट्सएप ग्रुप में भी महिला के कटे सिर की तस्वीरें सेंड की, जिस ग्रुप में सात सौ से ज्यादा थानों के इंचार्ज जुड़े हुए थे और करीब पांच दिनों की कोशिश के बाद आखिरकार पुलिस इस महिला की पहचान पता करने में कामयाब हो गई. महिला की पहचान शहर के दिलसुख नगर की रहनेवाली 55 साल की यारम अनुराधा रेड्डी के तौर पर हुई. इसी के साथ अनुराधा के कत्ल की सिहरन पैदा करनेवाली कहानी का खुलासा हो गया.
पति की मौत के बाद चंद्रमोहन के साथ रहती थी अनुराधा
वैसे तो अनुराधा शादीशुदा थी. लेकिन अपने पति की मौत के बाद वो करीब 15 सालों से अकेली रह रही थी. वो इतने ही दिनों से चंद्र मोहन नाम के एक शख्स को जानती थी. चंद्रमोहन, अनुराधा से सात साल छोटा यानी 48 साल का था. पति से अलग होने के बाद उसकी चंद्रमोहन से नजदीकी बढ़ गई और फिर वो चंद्रमोहन के साथ ही उसके दिलसुख नगर वाले मकान में शिफ्ट हो गई. चूंकि वो पहले से ही अलग रहती थी, कुछेक दोस्त और रिश्तेदारों के अलावा उसकी ज्यादा किसी से बातचीत भी नहीं होती थी. लेकिन इन्हीं हालात के बीच एक रोज़ अनुराधा रहस्यमयी तरीके से अपने घर से गायब हो गई.
12 मई 2023
यही वो तारीख थी, जब नर्स का काम करने वाली अनुराधा को लोगों ने आखिरी बार जिंदा देखा था. इसके बाद उसके कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों ने कई बार अनुराधा से बात करने की कोशिश की. लेकिन अनुराधा से उनकी बात नहीं हो सकी. हालांक अनुराधा के मोबाइल फोन से एसएमएस के जरिए, उन्हें जवाब जरूर मिलता रहा और फिर इस तरह एक-एक दिन गुजरता रहा.
यूपीआई से हुई संदिग्ध की पहचान
उधर, कटे सिर की पहचान पता करने की कोशिश में जुटी पुलिस ने जब मौका-ए-वारदात के आस-पास के तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो उनका शक ऑटो रिक्शा पर सवार एक शख्स पर गया. इस शख्स के अपने चेहरे पर कपड़ा बांध रखा था. लिहाजा, उसे पहचानना मुमकिन नहीं था. लेकिन जब वो पॉलीथिन में पैक कटा हुआ सिर फेंकने जा रहा था, तो इसी दौरान एक होटल से उसने पानी की बोतल खरीदी थी. इत्तेफाक से पानी की उस बोतल के लिए उसने यूपीआई ट्रांजेक्शन किया और उसी यूपीआई ट्रांजेक्शन के सहारे पुलिस ने उसकी पहचान पता कर ली. वो शख्स था दिलसुख नगर का रहनेवाला चंद्रमोहन.
फ्रिज में हाथ-पांव, ट्रंक में मिला धड़
अब पुलिस दिलसुख नगर में चंद्रमोहन के घर पहुंची. जहां चंद्रमोहन तो मिला ही, साथ ही अनुराधा के कत्ल की भयानक कहानी भी सामने आ गई. चंद्रमोहन ने पहले तो ऐसी किसी वारदात में शामिल होने की बात से ही साफ इनकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस ने उसकी घेरेबंदी करने के साथ-साथ उसके घर की तलाशी ली, तो घर के फ्रिज से ही अनुराधा के कटे हुए हाथ-पांव बरामद हो गए, वहीं एक बड़े से ट्रंक यानी लोहे के बक्से से अनुराधा का धड़ भी बरामद हो गया. इसके बाद चंद्रमोहन ने अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि उसने 12 मई को ही अनुराधा की चाकू से गोद कर हत्या कर दी थी और इसके बाद लाश के टुकड़े कर उन्हें किश्तों में ठिकाने लगाने की कोशिश कर रहा था.
कर्ज के चक्कर में रची अनुराधा के कत्ल की साजिश
पुलिस की पूछताछ में चंद्रमोहन ने बताया कि उसका अनुराधा से पुराना रिश्ता था. अनुराधा उसके मकान में ग्राउंड फ्लोर पर रहती थी, जबकि वो खुद फर्स्ट फ्लोर पर अपनी बुजुर्ग मां के साथ रहता था. अनुराधा नर्स का काम करने के साथ-साथ लोगों को ब्याज पर रुपये भी उधार दिया करती थी. इस साइड बिजनेस की वजह से उसके पास अक्सर कैश रहता था. साल 2018 में उसने अनुराधा से 7 लाख रुपये उधार के तौर पर लिए थे. लेकिन वो अब तक ये रुपये अनुराधा को वापस नहीं कर सका था. दूसरी ओर अनुराधा रोज उससे अपने रुपये वापस मांगती थी और अब इन रुपयों के लिए उसे कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगी थी. रोज-रोज के इस झगड़े से पीछा छुड़ाने के लिए ही चंद्रमोहन ने अनुराधा के कत्ल की साजिश रची.
चाकू से गोदकर किया अनुराधा का मर्डर
12 मई 2023 की दोपहर 7 लाख रुपयों को लेकर ही चंद्रमोहन से अनुराधा की लड़ाई हुई और गुस्से में उसने घर में रखे चाकू से एक के बाद एक कई वार कर अनुराधा को मौत के घाट उतार दिया. उसने अनुराधा के सीने और पेट में कई चाकू मारे. जब वो अनुराधा की जान चली गई तो उसने लाश निपटाने की तैयारी शुरू की. लेकिन कत्ल की अब तक की ये कहानी जितनी भयानक थी, लाश निपटाने की उसकी साजिश उससे भी ज्यादा अजीब और डरानेवाली थी.
लाश काटने के लिए खरीदी स्टोन कटिंग मशीन
असल में अनुराधा की लाश निपटाना चंद्रमोहन के लिए एक बड़ी चुनौती थी. खासकर पूरी की पूरी लाश को लेकर घर से बाहर निकलना ही अपने-आप में एक बड़ा चैलेंज था. ऐसे में उसने लाश को ठिकाने लगाने का जो तरीका चुना, वो ठीक दिल्ली के श्रद्धा मर्डर केस के मिलता जुलता था. उसने आफताब की तरह श्रद्धा की लाश के टुकड़े करने और फिर उन टुकड़ों को एक-एक कर शहर के अलग-अलग जगहों पर फेंकने का फैसला किया. चंद्रमोहन ने कत्ल के कुछ ही देर बाद बाजार से दो स्टोन कटिंग मशीन खरीदी और इन मशीनों की मदद से लाश के टुकड़े करने लगा.
पहले काटा सिर, फिर धड़ से अलग किए हाथ-पांव
घर लौटकर उसने सबसे पहले अनुराधा की लाश का सिर काटकर अलग कर लिया और उसे पॉलीथिन में पैक कर लिया. इसके बाद उसने लाश के हाथ-पैर काटकर अलग कर लिए. लेकिन चूंकि इन सारे टुकड़ों को एक ही दिन निपटना संभव नहीं था, उसने कटा हुआ सिर और हाथ-पांव अनुराधा की फ्रिज में ठूंस दिए. लाश के टुकड़ों को छुपाने का ये तरीका भी श्रद्धा मर्डर केस से बिल्कुल मिलता-जुलता था. चंद्रमोहन ने धड़ का हिस्सा एक बड़े से ट्रंक में भर कर घर में ही रख लिया. लाश निपटाने की पहली किश्त के तौर पर उसने सबसे पहले सिर को ठिकाने लगाने का फैसला किया और तीन दिन बाद यानी 15 मई को एक ऑटो में बैठ कर पॉलीथिन में कटा हुआ सिर लेकर घर से निकल गया. उसने ये सिर तिगालागुडा रोड के मूसी नदी के किनारे मौजूद डंपिंग ग्राउंड में फेंकने का फैसला किया. उसकी कोशिश थी कि सिर नदी के पानी में चला जाए और हमेशा-हमेशा के लिए गुम हो जाए.
फिनाइल, डेटोल, परफ्यूम, अगरबत्ती और कपूर का इस्तेमाल
चंद्रमोहन ने कटा हुआ सिर मूसी नदी के किनारे फेंक भी दिया था. मगर नदी में पानी कम होने की वजह से सिर नदी के किनारे डंपिंग ग्राउंड में ही पड़ा रह गया. इधर, घर लौटने के बाद उसने कटे हुए धड़ से उठती बदबू से पार पाने की तैयारी शुरू कर दी. इसके बाद ठीक श्रद्धा के आरोपी कातिल आफताब की तरह वो बाजार से फिनाइल की बोतल, डेटोल, परफ्यूम, अगरबत्ती, कपूर वगैरह खरीद कर लाया. ताकि घर की अच्छे तरीके से साफ-सफाई कर दी जाए और इन सारी चीजों को इस्तेमाल कर लाश से उठती बदबू को दबा देना मुमकिन हो. सच्चाई तो ये है कि इस कोशिश में वो काफी हद तक कामयाब भी रहा. क्योंकि आस-पड़ोस में किसी को चंद्रमोहन के घर से निकलती लाश की बदबू का पता नहीं चला. वो तो जब पुलिस तलाशी के लिए उसके घर में दाखिल हुई, तब उन्हें बदबू का अहसास हुआ.
इस्तेमाल कर रहा था अनुराधा का मोबाइल
खास बात ये रही कि अनुराधा के कत्ल की सच्चाई को छुपाए रखने के लिए चंद्रमोहन ठीक आफताब की तरह ही अनुराधा के मोबाइल फोन से उसके नाते रिश्तेदारों और दोस्तों को मैसेज भेज कर गुमराह करता रहा. जब-जब कोई अनुराधा से बात करने की कोशिश करता, वो उसके फोन से उन्हें मैसेज भेजकर उनकी जिज्ञासा शांत कर देता. उसकी ये कोशिश तब तक कामयाब भी रही, जब तक कि वो पकड़ा नहीं गया. इस हत्याकांड ने यकीनन श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस की यादें ताजा कर दी.