शिवसेना सांसद (Shivsena MP) प्रियंका चतुर्वेदी (Priyanka Chaturvedi) ने सोमवार को राज्यसभा (Rajyasabha) के सभापति (Chairman) एम. वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) को पत्र लिखकर (Wrote a Letter) युवतियों के विवाह (Marriage) की उम्र (Age) बढ़ाने संबंधी विधेयक पर चर्चा में महिलाओं की भागीदारी और प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का अनुरोध किया है।
राज्यसभा सांसद चतुर्वेदी ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश हुए बाल विवाह निषेध संशोधन विधेयक को लेकर नायडू को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजा गया है और इस 31 सदस्यीय पैनल में महज एक ही महिला सांसद है। दरअसल, संसदीय पैनल, जो महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने वाले विधेयक की जांच करेगा, उसमें केवल एक महिला सदस्य है।
चतुवेर्दी ने अपने पत्र में लिखा है कि यह निराशाजनक है कि महिलाओं और भारतीय समाज से संबंधित एक विधेयक पर एक ऐसी समिति में विचार-विमर्श किया जाएगा, जहां प्रतिनिधित्व अत्यधिक विषम है। उन्होंने आगे कहा, “इसलिए मैं आपसे यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करती हूं कि महिलाओं के मुद्दों से संबंधित विधेयकों पर चर्चा में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व और भागीदारी होनी चाहिए। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सभी हितधारकों के हितों को ध्यान में रखा जाए और सभी की आवाज, विशेषकर महिलाओं की आवाज को समिति द्वारा सुना और समझा जाए।”
गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र में सरकार ने लोकसभा में लड़कियों के विवाह की आयु 21 वर्ष करने संबंधी बाल विवाह निषेध संशोधन विधेयक पेश किया था, जिसे व्यापक विचार विमर्श के लिए संसद की स्थायी समिति को भेज दिया गया। इस विधेयक में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम कानूनी आयु को 18 साल से बढ़ाकर पुरुषों के बराबर 21 साल करने का प्रस्ताव है।
राज्यसभा की वेबसाइट के अनुसार, भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल की संसदीय स्थायी समिति के 31 सदस्य हैं और उच्च सदन की तृणमूल कांग्रेस सदस्य सुष्मिता देव इसमें इकलौती महिला हैं। 31 सदस्यों में से 10 राज्यसभा से और 21 लोकसभा से हैं।
समिति के एक सदस्य ने कहा कि बेहतर होगा कि कुछ और महिला सांसदों को समिति का सदस्य बनाया जाए, जो महिलाओं की कानूनी शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के कानून पर चर्चा करने जा रही है।
सदस्य ने कहा, “वर्तमान में समिति में नई महिला सांसदों को मनोनीत करने के लिए कोई पद रिक्त नहीं है। लेकिन समिति के अध्यक्ष के पास किसी को भी आमंत्रित करने का अधिकार है और हम चाहते हैं कि वह प्रस्तावित कानून पर व्यापक परामर्श के लिए सभी को आमंत्रित करें।”