10 अगस्त से शुरू हो रहे मोहर्रम को लेकर डीजीपी मुकुल गोयल ने विस्तृत गाइडलाइन जारी की है। डीजीपी ने कहा है कि कोरोना महामारी संक्र्तमण को लेकर गृह मंत्रालय भारत सरकार और न्यायालय के आदेशों को देखते हुए किसी प्रकार के जुलूस ताजिया की अनुमति न दी जाए। उन्होंने कहा है कि धर्म गुरूओं से संवाद स्थापित कर कोविड के दिशा निर्देशों का अनुपालन कराया जाय।
डीजीपी की ओर से सभी जिलों के पुलिस कप्तानों, पुलिस कमिश्नरों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मोहर्रम के दौरान छोटी से छोटी घटना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित एक्शन लिया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि पिछले सालों में या इस साल अभी तक जिन जिन स्थानों पर किसी प्रकार का विवाद सामने आया हो वहां पुलिस और राजस्व विभाग के राजपत्रित अधिकारियों द्वारा अभी से स्थिति का अध्ययन कर लिया जाय एवं विवाद को सुलझाने तथा संवेदनशीलता को दूर करने के लिये कार्रवाई की जाए। उन्होंने पर्याप्त संख्या में पुलिस बल का डिप्लायमेंट किए जाने, किसी भी हाल में यातायात न प्रभावित होने देने, बैरियर और चेक पोस्ट लगाकर चेकिंग कराने, मोटर वाहन अधिनियम के नियमों का पालन सख्ती से कराने, जन सुविधायें जैसे बिजली, पेयजल एवं साफ.सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं।
अस्पतालों और डाक्टरों के लिए भी जारी किया जाए अलर्ट
डीजीपी की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि मुख्य चिकित्साधिकारी से संपर्क स्थापित कर किसी भी इमरजेंसी के लिए सभी सरकारी अस्पतालों को तैयार रखने, डाक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की ड्यूटी राउंड द क्लॉक लगवाने के निर्देश दिए हैं। महिलाओं के साथ किसी तरह की कोई घटना न हो इसके लिए सादी वर्दी में महिला और पुरुष पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई जाए। पुलिस अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वह त्यौहार से पहले थाने स्तर से मोहल्लों और गांवों में शांति समिति की बैठकें करा लें।
हर गतिविधियों पर रखी जाए नजर
डीजीपी ने अवांछनीय तत्वों पर नजर रखने, मोबाइल पेट्रोलिंग और फूट पेट्रोलिंग कराने, खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट का अध्ययन करने, पर्याप्त संख्या में पुलिस बल उपलब्ध कराने के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल करने और सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी के निर्देश दिए हैं।
सावन में मोहर्रम से बढ़ जाती है संवेदनशीलता
डीजीपी की ओर से कहा गया है कि सावन माह के मध्य मोहर्रम पड़ने के कारण संवेदनशीलता में बढ़ोत्तरी होने से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में विशेष सतर्कता की जरूरत है।
गाइडलाइन की भाषा पर नाराजगी
मोहर्रम को लेकर डीजीपी कार्यालय से जारी की गई गाइडलाइन की भाषा पर शिया उलमा ने सख्त नाराजगी जताई है। उन्होंने इस पत्र को वापस लेकर ड्राफ्ट तैयार करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। उलमा ने पत्र वापस न लेने पर पुलिस की ओर से बुलाई जाने वाली अमन बैठकों का बहिष्कार करने की चेतावनी भी दी।
दरअसल डीजीपी कार्यालय से मोहर्रम को लेकर जारी दिशा निर्देश में शिया समुदाय की ओर से तबर्रा पढ़ने की बात कही गई। इसमें कहा गया कि कुछ असामाजिक तत्व जानवरों की पीठ पर और पतंगों पर ऐसी बातें लिखकर उड़ाते हैं जिन पर सुन्नी समुदाय को ऐतराज होता है। इसको लेकर अमन बिगड़ने की आशंका जताई गई।
इसको लेकर शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने सख्त नाराजगी जताते हुये कहा कि गाइडलाइन में बीते 40 साल पुरानी बातों को खोद कर शिया समुदाय पर गलत इल्जाम लगाए गए हैं। इसके जरिये शिया समुदाय के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। मौलाना ने डीजीपी से इस पत्र को वापस लेने और संबन्धित लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की। उन्होंने इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर प्रदेश का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने पत्र वापस न लेने पर तमाम उलमा और संगठनों से जिला और शहर स्तर पर होने वाले अमन बैठकों का बहिष्कार करने की अपील की।
वहीं स्व. मौलाना कल्बे सादिक के बेटे मौलाना कल्बे सिब्तैन नूरी ने कहा कि पुलिस प्रशासन की गाइडलाइन से शिया समुदाय के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि मोहर्रम व शिया समुदाय पर सीधे तौर पर बेबुनियाद इल्जाम लगाए गये हैं। उन्होंने गाइडलाइन के ड्राफ्ट को बदलने की मांग की। उन्होंने सरकार जांच करे कि इस तरह का ड्राफ्ट किसने तैयार किया है।