महंत नरेंद्र गिरि की मौत की जांच के लिए आखिरकार सीबीआई की टीम प्रयागराज पहुंच चुकी है। पांच सदस्यों की सीबीआई टीम प्रयागराज पहुंची है। सीबीआई ने दिल्ली में इस मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज कर लिया है। इससे पहले बड़ा खुलासा हुआ है जिसमें पता चला है कि सोमवार यानि जिस दिन महंत की मौत हुई तब उनके फोन पर कुल 35 कॉल आई थी। महंत ने 18 काॅल पर लोगों से बात की थी। बातचीत करने वालों में हरिद्वार के कुछ लोग और 2 बिल्डर भी शामिल थे। एसआईटी नरेंद्र गिरि के मोबाइल की सीडीआर निकालकर फोन करने वाले लोगों से भी पूछताछ करेगी। हरिद्वार से कॉल करने वालों का डिटेल खंगालने के लिए हरिद्वार पुलिस को भी जानकारी भेजी गई है। ज्ञात हो कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत हत्या है या आत्महत्या इसकी जांच चल रही है। महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि ही मौत मामले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। प्रयागराज में हनुमान मंदिर या बड़े हनुमान मंदिर की मान्यता, मान प्रतिष्ठा देश-दुनिया में है। उस बड़े हनुमान मंदिर से ही आनंद गिरि ने अपने सपनों को साकार करना शुरू किया था। बचपन से ही नरेंद्र गिरि के साथ रहने वाले आनंद गिरि ने गुरु का इतना भरोसा जीत लिया कि महंत नरेंद्र गिरि ने बड़े हनुमान मंदिर की पूजा-अर्चना से लेकर पूरी देखरेख की जिम्मेदारी आनंद गिरि को सौंप दी।
ऐसे लगा ताकत और रसूख का चस्का
आनंद गिरि ने शुरुआती दिनों में बतौर मुख्य पुजारी बड़े हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना भी की और मंदिर का रख-रखाव, आने वाले चढ़ावे का हिसाब रखना शुरू किया। प्रयागराज में जब भी कोई नेता, अफसर संगम आता तो बड़े हनुमान मंदिर दर्शन करने जरूर जाता। यहीं से आनंद गिरि को ताकत और रसूख का चस्का लग गया। धीरे-धीरे आनंद गिरि ने बड़े हनुमान मंदिर की पूरी जिम्मेदारी ले ली और यहीं पर महंत आनंद गिरि की दोस्ती आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी से हो गई। आनंद गिरि ने आद्या तिवारी को बड़े हनुमान मंदिर का पुजारी बनाया तो गुरू नरेंद्र गिरि ने भी एतराज नहीं जताया। आनंद गिरि और संदीप तिवारी के बीच दोस्ती बढ़ती गयी। तमाम रसूखदार ताकतवर लोगों से संपर्क बढ़ा तो बाघम्बरी गद्दी के पास मौजूद करोड़ों की संपत्ति और पूर्व में बेची जा चुकी संपत्ति से हुई कमाई की भी जानकारी आनंद गिरि को मिलने लगी। बताया जा रहा है कि यहीं से गुरु और शिष्य के रिश्तो में गांठ पड़ना शुरू हो गई। आद्या तिवारी और संदीप तिवारी आनंद गिरि के ज्यादा वफादार हो गये।
ऐसे बेचे गयी महंगी जमीन
महंत नरेंद्र गिरि ने अल्लापुर के जिस इलाके में बाघंबरी गद्दी मौजूद है वहां आसपास की करीब आधा किलो मीटर की बेशकीमती जमीन बिल्डर, नेताओं को बेच दी गई थी। स्थानीय लोगों की मानना है कि गुरु शिष्य के बीच झगड़े का कारण महंत नरेंद्र गिरि के द्वारा बेची गई यही अरबों की प्रॉपर्टी थी। बाघंबरी गद्दी के पास ही पीढ़ियों से रहने वाले हाई कोर्ट अधिवक्ता उमेश चंद्र मिश्रा कहते हैं कि महंत नरेंद्र गिरि ने अरबों की संपत्ति बेच दी थी। बचपन से बाघंबरी गद्दी के सामने रहने वाले हाई कोर्ट अधिवक्ता पवनेश मिश्रा कहते हैं कि गुरु और शिष्य के बीच संपत्ति को लेकर ही झगड़ा शुरू हुआ था, मनमुटाव शुरू हुआ थां
पेट्रोल पंप की ऐसे हुई थी बात
बाघंबरी गद्दी की गौशाला वाली जमीन पर छोटे महाराज आनंद गिरि के लिए पेट्रोल पंप को लेकर बात हुई थी। पेट्रोल पंप कंपनी को जमीन लीज पर दी जाने वाली थी लेकिन अचानक गुरु नरेंद्र गिरि ने गौशाला वाली जमीन पर पेट्रोल पंप खोलने से ही मना कर दिया। जमीन को लीज पर देने से भी मना हो गया। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि और शिष्य आनंद गिरि के रिश्तों में खटास आ गई।
जमीन बेचे जाने की हुई थी शिकायत
ज्ञात हो कि आनंद गिरि ने प्रयागराज जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक बाघंबरी गद्दी के नाम की जमीन को बेचने की शिकायत कर दी थी। महंत नरेंद्र गिरि पर जमीनों को बेचने का आरोप उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड डीजी आर एन सिंह ने भी लगाए थे। 2006 में आईजी रेलवे रहते हुए उन्होंने अनावश्यक रूप से मठ की जमीन बेचने का विरोध भी किया था। आरएन सिंह कहते हैं साल 2008 में जब नरेंद्र गिरि बड़े हनुमान मंदिर और मठ से जुड़ी जमीनों को बेच रहे थे तो संगम क्षेत्र के रहने वाले लोगों ने इसका विरोध किया था।