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भूकंप के तेज झटकों से हिला जापान, 6.4 मापी गई तीव्रता, 10 से ज्यादा लोग घायल

जापान के दक्षिणपश्चिमी और पश्चिमी क्षेत्र में आए भीषण भूकंप  के कारण 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. भूकंप शनिवार को दोपहर 1 बजकर 08 मिनट पर आया. ये जानकारी रूस की वेबसाइट स्पूतनिक ने स्थानीय मीडिया के हवाले से दी है. जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (Japan Meteorological Agency) के अनुसार, भूकंप क्यूशू द्वीप के पास शनिवार को एक बजे के बाद आया, जिसका केंद्र 40 किलोमीटर (24.8 मील) की गहराई पर स्थित था. सुनामी (Tsunami) की कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है.

जापान की क्योदो समाचार एजेंसी के अनुसार, मियाजाकी, ओइता, कोच्चि और कुमामोटो के प्रांतों ने भूकंप को पांच पॉइंट का बताया है. जापान में भूकंप के खतरे को मापने के लिए 7 पॉइंट का इस्तेमाल किया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओइता प्रांत में कम से कम छह लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से अधिकांश मामूली रूप से घायल हुए. मियाजाकी में चार लोगों के घायल होने खबर है. सागा और कुमामोटो प्रांत से भी लोगों के हताहत होने की सूचना मिली है. समाचार एजेंसी ने कहा कि घायलों की सटीक संख्या बता पाना अभी मुश्किल है.

रिंग ऑफ फायर पर स्थित है जापान

जापान में भूकंप आना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है बल्कि यहां अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि ये देश प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ फायर (Right of Fire) पर स्थित है. ये तीव्र भूकंपीय गतिविधि का एक आर्क है, जो दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत बेसिन तक फैला हुआ है. 6 की तीव्रता या उससे अधिक तीव्रता पर यहां भूकंप आना आम बात है. साल 2011 में जापान के फुकुशिमा में शक्तिशाली भूकंप आया था, जिससे वहां स्थित परमाणु संयंत्र को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा था. 11 मार्च, 2011 को आए भूकंप के बाद समुद्र में उठी विनाशकारी सूनामी लहरों की चपेट में फुकुशिमा परमाणु संयंत्र भी आ गया था. ये भूकंप आज तक कोई भूल नहीं सका है.

क्यों आता है भूकंप?

भूकंप आने के पीछे भी एक बड़ा कारण है. दरअसल पृथ्वी कई लेयर में बंटी होती है और जमीन के नीचे कई तरह की प्लेट होती है. ये प्लेट्स आपस में फंसी रहती हैं, लेकिन कभी-कभी ये प्लेट्स खिसक जाती है, जिस वजह से भूकंप आता है. कई बार इससे अधिक कंपन भी होने लगती है और इसकी तीव्रता बढ़ती जाती है. भारत में धरती के भीतर की परतों में होने वाली भोगौलिक हलचल के आधार पर जोन भी तय किए गए हैं और कुछ जगह यह ज्यादा होती है तो कुछ जगह कम.