यूपी विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सभी राजनीति दलों ने अपनी-अपनी कमर ली है। वहीं दूसरी पार्टियों की तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी ब्राह्मणों को रिझाने की कवायद शरू कर दी है। यही वजह है कि पार्टी जल्द ही प्रदेश में प्रबुद्ध जन सम्मेलन शुरू करने जा रही है, जिसकी शुरुआत 5 सितंबर से होगी।
इन नेताओं के कंधों पर हो सम्मेलन की जिम्मेदारी
पांच सितंबर से शुरू होने वाले इन सम्मेलनों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश सह संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह सहित राष्ट्रीय व प्रदेश पदाधिकारी तथा केन्द्रीय मंत्री इसकी कमान संभालेंगे। प्रदेश महामंत्री व प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन अभियान के प्रभारी सांसद सुब्रत पाठक ने बताया कि भाजपा की ओर से आयोजित प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलनों में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले प्रबुद्धजन शामिल होंगे।
इनमें शिक्षक, प्रोफेसर, इंजीनियर, डॉक्टर, साहित्यकार जैसे समाज के प्रबुद्ध वर्ग आते हैं। पांच सितंबर को प्रदेश के 17 महानगरों में और 6 से 20 सितंबर के बीच प्रदेश के सभी 403 विधानसभाओं में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। पार्टी इन सम्मेलनों में केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों, जनकल्याकारी योजनाओं, उपलब्धियों की चर्चा करेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी से करेंगे शुरूआत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी में, प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह प्रयागराज में, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अयोध्या में, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल लखनऊ में, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कानपुर में, प्रदेश सहसंगठन महामंत्री कर्मवीर सहारनपुर में 5 सितंबर से प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की शुरूआत करेंगे। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा चित्रकूट में, राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह मथुरा में, राष्ट्रीय मंत्री विनोद सोनकर आगरा में, केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान गाजियाबाद में, वीके सिंह मेरठ में, साध्वी निरंजन ज्योति झांसी में, भानु प्रताप वर्मा मुरादाबाद में, कौशल किशोर नोएडा में, बीएल वर्मा बरेली में, पंकज चैधरी गोरखपुर में, अजय मिश्रा टेनी शाहजहांपुर में भाग लेंगे।
ब्राहम्णों को लुभाने में लगीं सभी पार्टियां
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सभी पार्टियों ने समाज के हर वर्ग को लुभाने की कवायद तेज कर दी है। बसपा पहले से ही साल 2007 की जीत को दोहराने के लिए इस चुनाव भी ब्राह्मणों पर दांव लगा रही है। वहीं कांग्रेस भी इस मामले में पीछे नहीं है। जबकि भारतीय जनता पार्टी भी अब इस मामले में पीछे नहीं रहना चाहती है। यही वजह है कि नाराज ब्राह्मणों को फिर से रिझाने की रणनीति बीजेपी ने बनाई है।