यूपी विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ही प्रदेश में सरगर्मी बढ़ गई है। मंगलवार को यूपी सरकार के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के अगले दिन ही स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हो गया है। मौर्य को एक पुराने मामले में सुल्तानपुर के एमपी-एमलए कोर्ट ने 24 जनवरी को पेश होने का आदेश दिया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य पर देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। ये आरोप उनपर 2014 में ही लगा था। बता दें कि साल 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा महासचिव और नेता प्रतिपक्ष थे, उस दौरान मौर्य ने देवी-देवताओं को लेकर विवादित बयान दिया था। इसको लेकर मौर्य के खिलाफ पर सात साल पहले धार्मिक भावना भड़काने का मुकदमा दर्ज किया गया था।
यूपी का राजनीति में स्वामी प्रसाद मौर्य माने-जाने वाले नेता है। मौर्य योगी सरकार में कैबिनट मंत्री थे। लेकिन वो पिछड़ों दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। इशारा मिला है कि मौर्य समाजवादी पार्टी जॉइन करेंगे। वो पिछले दरवाजे से कई बार अखिलेश यादव से बात कर चुके हैं। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद मंगलवार को तीन और भी विधायकों ने बीजेपी छोड़ दी है।
स्वामी प्रसाद मौर्य कभी बसपा प्रमुख मायावती के करीबी और पार्टी के मुखर चेहरे हुआ करते थे। मौर्य को 1997, 2002 और 2007 में न केवल हर बसपा सरकार में मंत्री बनाया गया था, बल्कि हर बार बसपा के सत्ता से बाहर होने पर विपक्ष के नेता भी थे। यहां तक कि उन्हें बसपा का राष्ट्रीय महासचिव भी बना दिया गया, जिससे वे प्रभावी रूप से पार्टी पदानुक्रम में मायावती के बाद नंबर दो थे।