पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक बार अपने विवादित बयानों से स्वयं को तमाशा बना दिया है। उन्होंने आतंकवादी संगठन तालिबान को हिंसा के लिए जिम्मेदार मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने भारत के ऊपर ही अफगानिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने का झूठा आरोप लगा दिया। कुरैशी के इस बयान की अफगानिस्तान ही नहीं, पाकिस्तान के भी राजनेताओं ने निंदा की है। शाह महमूद कुरैशी पहले भी अपने बयानों से सऊदी अरब और अमेरिका को नाराज कर चुके हैं। अफगानिस्तान में एक साक्षात्कार के दौरान शाह महमूद कुरैशी ने काबुल में भारत की उपस्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने तर्क दिया कि भारत और अफगानिस्तान कोई सीमा साझा नहीं करते। फिर भी इन दोनों देशों के बीच इतने घनिष्ठ संबंध क्यों हैं। कुरैशी यहां भूल गए कि पाकिस्तान भारत के कश्मीर के जिस हिस्से पर अवैध कब्जा कर बैठा हुआ है वह हिस्सा अफगानिस्तान के साथ सीधे जुड़ा हुआ है। कुरैशी अपने बयानों में फंस गये।
कुरैशी ने तालिबान की खूंखार आतंकी संगठन को क्लीनचिट देने की कोशिश की। कुरैशी तालिबान के खिलाफ बोलने से बचते रहे। कुरैशी ने कहा कि आईएसआईएस जैसे संगठन अफगानिस्तान के भीतर की ताकतों की तरह बढ़ रहा है। कुरैशी ने कहा कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो युद्ध की अर्थव्यवस्था से लाभ प्राप्त करते हैं जो अपनी शक्ति को कायम रखना चाहते हैं। अफगानिस्तान में भारत की उपस्थिति से चिढ़ते रहे।
कुरैशी ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के झूठ को फिर से स्थापित करने की कोशिश की। उन्होंने अफगान की धरती पर चार से अधिक भारतीय दूतावासों के होने और यहां से आतंकी गतिविधियों में भारत की संलिप्तता का झूठा आरोप भी लगाया। उन्होंने भारतीय दूतावासों की संख्या को चार बताया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को भारत के साथ संप्रभु और द्विपक्षीय सम्बन्ध रखने का पूरा अधिकार है।