नेपाल में पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाला सीपीएन-यूएमएल गुट प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत के दौरान नवनियुक्त पीएम शेर बहादुर देउबा सरकार के खिलाफ वोट करेगा। यह फैसला शुक्रवार को पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में लिया गया। पार्टी ने संसद में विपक्ष में बैठने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री केपी ओली की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी के अंदरूनी विवादों के समाधान के लिए पार्टी के कार्यबल की ओर से दिए गए दस सूत्री प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। हालांकि पार्टी के असंतुष्ट नेता माधव कुमार नेपाल के करीबी नेताओं ने उच्चस्तरीय बैठक का बहिष्कार किया। यूएमएल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के असंतुष्ट नेता विश्वास मत के दौरान देउबा के पक्ष में वोट कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री देउबा के लिए यूएमएल का समर्थन महत्वपूर्ण होगा। नेपाल के साथ यूएमएल के 23 सांसद हैं। इन सभी ने कुछ महीने पहले राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के सामने देउबा का समर्थन किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नेपाली कांग्रेस के प्रमुख 75 वर्षीय देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने 13 जुलाई को चार नए मंत्रियों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। प्रधानमंत्री नियुक्त होने के 30 दिन के अंदर उन्हें प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करना होगा यानी संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक 12 अगस्त तक उन्हें विश्वास मत हासिल करना होगा।