भारतीय कुश्ती संघ (Wrestling Federation of India) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ आंदोलनरत पहलवान साक्षी मलिक (wrestler Sakshi Malik) ने एक वीडियो जारी किया है. उन्होंने बृजभूषण सिंह पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि नाबालिग महिला पहलवान के परिवार को डराया और धमकाया गया. जिसके बाद उसने बयान बदल लिया. उन्होंने कहा कि नाबालिग महिला पहलवान (minor female wrestler) ने पुलिस के सामने 161 और मजिस्ट्रेट के सामने 164 में बयान दिया था. लेकिन उसके परिवार को डराया धमकाया गया, जिसके बाद उसने बयान बदल लिया.
पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि हमारा आंदोलन राजनीति से प्रेरित नहीं है, कांग्रेस का भी इसमें कोई हाथ नहीं था. जब पहली बार जनवरी में हमने आंदोलन किया था, तो उस आंदोलन की परमिशन बीजेपी के 2 लीडर्स ने दिलाई थी. जिसका सबूत भी है. आंदोलनरत पहलवान ने कहा कि हमने बार-बार कहा कि हमारी लड़ाई सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि फेडरेशन के खिलाफ थी. उन्होंने कहा कि एक ना होने के कारण प्रशासन इसका फायदा उठाता है. यह लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है.
साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान ने वीडियो में कहा कि हमारे खिलाफ अफवाएं फैलाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि कुश्ती से जुड़े 90 फीसदी लोगों को पता है कि पिछले 12 साल से महिला पहलवानों से इस तरह की छेड़छाड़ की जा रही थी. कई लोग इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहते थे, लेकिन हमारी रेसलिंग कमेटी में एकता की कमी थी. अगर किसी ने आवाज उठाने की कोशिश भी की तो ये बात बृजभूषण सिंह तक पहुंचती थी और उसके करियर में दिक्कत आना शुरू हो जाती थी.
साक्षी मलिक ने कहा कि हम पर आरोप था कि हम अभी तक चुप क्यों थे. इसके कई कारण हैं. पहला कारण तो ये है कि हम पहलवानों में एकता की कमी थी. उन्होंने कहा कि कुश्ती में आने वाले खिलाड़ी गरीब परिवारों से होते हैं. उनमें पावरफुल आदमी के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं होती. साक्षी ने कहा कि जब इंडिया के टॉप रेसलर्स ने आवाज उठाई तो उन्हें किन हालातों से गुजरना पड़ा ये सभी ने देखा.
सत्यव्रत ने कहा कि 28 मई को जो महिला महापंचायत हुई थी, उसका फैसला खाप पंचायत ने लिया था. हमें इस फैसले के बाद पता चला था कि नई संसद का उद्घाटन होने वाला है. लेकिन हमने अपने बड़े-बुजुर्गों का सम्मान किया. लेकिन हमारे साथ 28 मई को पुलिस ने जो व्यवहार किया, उसने हमें अंदर से तोड़ दिया था. हमने देश का मान बढ़ाया, लेकिन हमें सड़कों पर रौंद दिया. इससे हम आहत हो गए थे. इसके बाद हमने अपने सारे मेडल्स गंगाजी में प्रवाहित करने का फैसला लिया था. क्योंकि हमें ये मेडल्स बेमानी नजर आ रहे थे. लेकिन हम हरिद्वार में भी इस सिस्टम की साजिश का शिकार हो गए.
विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के नेतृत्व में तमाम पहलवानों ने जनवरी में बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था. पहलवानों ने बृजभूषण शरण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. तब खेल मंत्रालय के दखल के बाद पहलवानों का धरना खत्म हो गया था. इसके बाद 23 अप्रैल को पहलवान दोबारा जंतर मंतर पर धरने पर बैठे. इसके साथ ही 7 महिला पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दिल्ली पुलिस से की थी. पुलिस ने महिला पहलवानों की शिकायत पर बृजभूषण के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे.
इन पहलवानों ने 23 अप्रैल से 28 मई तक जंतर मंतर पर धरना दिया था. पहलवानों ने 28 मई को जंतर मंतर से नई संसद तक मार्च निकाला था. इसी दिन पीएम मोदी नई संसद का उद्घाटन कर रहे थे. ऐसे में पुलिस ने मार्च की अनुमति नहीं दी थी. इसके बावजूद जब पहलवानों ने मार्च निकालने की कोशिश की थी, तो पुलिस के साथ हाथापाई और धक्का मुक्की हुई थी. इसके बाद पुलिस ने 28 मई को पुलिस ने पहलवानों को धरना स्थल से हटा दिया था.