प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित कर दुनिया और देश को गौरवान्वित किया है। उन्हांेने अपने सम्बोधन के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर को याद किया। रवींद्रनाथ टैगोर को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को नसीहत भी दी। उन्होंने बताया कि टैगोर ने कहा था अपने शुभ कर्म-पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो। पीएम मोदी ने महासभा में अपने संबोधन में कहा कि मैं नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी के शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त कर रहा हूं।
शुभो कोर्मो-पोथे
धोरो निर्भोयो गान,
शोब दुर्बोल सोन्शोय होक ओबोसान. अर्थात
अपने शुभ कर्म-पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो। सभी दुर्बलताएं और शंकाएं समाप्त हों। ये संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए जितना प्रासंगिक है उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिए। मुझे विश्वास है, हम सबका प्रयास, विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ाएगा, विश्व को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध बनाएगा।
पीएम मोदी द्वारा उद्धृत इस गीत का विशेष महत्व है। इस कविता का जुड़ाव भारतीय जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी से है। जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे तो उन्होंने टैगोर को 1935 में विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर दो गीत लिखने को कहा था। 2005 में प्रकाशित ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के टैगोर ने मुखर्जी के ऑफिस में यह गाना दो महीने के भीतर भेज दिया था। पीएम मोदी ने जिस गीत को आज उद्धृत किया है, वह काफी लोकप्रिय हुआ था। आज भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1934-1938 तक कलकत्ता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे थे। उनके कार्यकाल के दौरान टैगोर ने विश्वविद्यालय में पहली बार बंगाली में कन्वेकेशन को संबोधित किया था।