सोमवार को भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई। जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। एक तरफ चीन भारत को तीन युद्ध की धमकी दे रहा है। तो वहीं भारत ने भी सीमा पर सेना को अलर्ट कर दिया है लेकिन इन सबके बीच भारत ने चीन को आर्थिक चोट देने की भी तैयारी कर ली है। दरअसल लद्दाख में हुई झड़प के बाद भारत ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। जिसके बाद अब बीजिंग को बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने दूरसरंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) सहित चीनी कंपनियों से अपग्रेडेशन गियर लेने पर रोक लगा दी है।
एक अधिकारी के मुताबिक, दूरसंचार विभाग जल्द ही बीएसएनएल और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) द्वारा 4G टेक्नोलॉजी की स्थापना के लिए जारी टेंडर रद्द करेगा और चीनी कंपनयों को इससे बाहर करने की लिए नियमों में बदलाव किया जाएंगे। ऐसा करने से चीन की बड़ी कंपनियां Huawei और ZTE को बडा झटका लगेगा। क्योंकि भारत के इस कदम से चीनी कंपनियां देश में 5G नेटवर्क से जुड़े प्रोजेक्ट्स से बाहर रहेंगी। इसके लिए मंत्रालय ने बीएसएनएल, एमटीएनएल और बाकि कंपनियों को चीन के सामान से बचने के निर्देश भी दिए है।
इसके अलावा मंत्रालय ने बाकि विभागों को आदेश दिया है कि वे भारत के सामान को ही सर्वोच्च स्थान पर रखें और इन्हीं सामान को इस्तेमाल करें। ऐसा करने पर हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा सकते है। इसके साथ ही हम चीन की हर चाल का आर्थिक रूप से जवाब दे सकते है। बता दें कि भारत धीरे-धीरे दूरसंचार उपकरणों के बाजार में चीन की हिस्सेदारी को कम कर देगा। इस समय ये बाजार 12,000 करोड़ का है। जिसमें चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी एक चौथाई है। बाकि इस बाजार में मुख्य रूप से स्वीडन की एरिक्सन, फिनलैंड की नोकिया और कोरिया की सैमसंग शामिल हैं। भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया यूरोपीय विक्रेताओं के अलावा Huawei और ZTE के साथ काम करती हैं, और रिलायंस जियो सैमसंग के साथ काम करती है।