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चीन के खिलाफ हिंद महासागर में उतरी चार देशों की नौसेनाएं, अब आएगी ड्रैगन की शामत!

LAC पर भारत और चीन का तनाव चरम पर है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई बार हिंसक झड़प हो चुकी है लेकिन इस तनाव के बीच मंगलवार को मालाबार युद्धाभ्यास शुरू हो गया है। जिससे चीन की नींद उड़ गई है। इस युद्धाभ्यास में विध्वंसक मिसाइलों से लैस चार देश शामिल हुए है। जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल है। ये चारों देश हिंद महासागर में अपनी ताकत और युद्ध कौशल का नमूना दिखा रहे है और चारों देशों की नौसेनाओं का ये प्रदर्शन चार दिन तक जारी रहेगा। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं का युद्धाभ्यास 3 से 6 नवंबर तक जारी रहेगा। जिसमें हर देश अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा।

कैसे होता है युद्धाभ्यास
चार दिनों तक जारी यह बहुपक्षीय नौसैनिक युद्धाभ्यास होगा। जिसमें नौसेनाएं द्वारा युद्ध जैसे हालात को पैदा किया जाता है। इसके बाद युद्धाभ्यास में शामिल देशों की नौसेनाएं आपस में संघर्ष करती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ये पहली बार हुआ है जब इतने बड़े स्तर पर नौसेनाएं एक साथ, एक महासागर में युद्धाभ्यास कर रही है। इस युद्धाभ्यास में चारों देशों का एक ही उद्धेश्य है और वो है चीन को रोकना। इन दिनों चीन का दबदबा दक्षिण चीन सागर में बढ़ता जा रहा है। जिसे रोकने के लिए ही चारों देश एक साथ हिंद महासागर में उतरें है। जिससे चीन काफी परेशान है। चीन को रोकने के लिए इस साल दो चरणों में युद्धाभ्यास होगा। जिसमें पहला मंगलवार को शुरू हो चुका है। ये युद्धाभ्यास विशाखापत्तनम के पास तट पर हो रहा है और दूसरा युद्धाभ्यास नवंबर में होगा। इस दौरान चारों देशों के नौसेनाएं अरब सागर में टकराएगी।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सामरिक मामलों के जानकार सुशांत सरीन के मुताबिक, ‘मालाबार युद्धाभ्यास’ को सिर्फ नौसेनाओं का अभ्यास नहीं समझना चाहिए बल्कि इसके जरिए भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को मिलकर पूरी दुनिया को एक संदेश देने की जरूर है। ये चारों देश इस क्षेत्र में एक बड़ी ताकत बनकर सामने आएंगे। पूर्वी लद्दाख में चीन से गतिरोध के बीच भारत-प्रशांत क्षेत्र से चार बड़ी नौसेनाओं की भागीदारी चीन को एक संदेश देगी।

 

भारत का महत्व
27 अक्टूबर को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ और अमेरिका विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के बीच 2+2 वार्ता हुई थी। इस वार्ता में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि हम इस बात पर सहमत है कि यह आवश्यक है कि नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखा जाए। कानून के शासन का सम्मान किया जाए और अंतरराष्ट्रीय समुंद्र में आवागमन की स्वतंत्रता हो और सभी राज्यों के क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखा जाए। वहीं, हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री योशिहीडे सूगा ने कहा था कि इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र को स्वतंत्र और भयमुक्त बनाना है। इसके अलावा अमेरिका और चीन का तनाव पूरी दुनिया देख रही है। जिस वजह से चीन को रोकने के लिए अमेरिका पहले ही अपने युद्धपोत भेज चुका है।

कौन-कौन से युद्धपोत शामिल

भारत के चार युद्धपोत
1. आईएनएस रणविजय- ये नौसेना का सबसे शक्तिशाती युद्धपोत है। ये शक्तिशाली युद्धपोत एक, लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल ब्रह्मोस, पनडुब्बी रोधी टोरपीडो और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से युक्त है।

2. आईएनएस शिवालिक- ये भारत में निर्मित ऐसा पहला युद्धपोत है। जो रडार से बच निकलने में सक्षम है। यह युद्धपोत 143 मीटर लंबा और करीब 6,000 टन वजनी है। इसके सहारे किसी भी तरह के दुश्मन को मात आसानी से दी जा सकती है।

3. आईएनएस सुकन्या- भारतीय नौसेना का गश्ती जहाज है। ये युद्धपोत तटीय इलाकों में निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अभी यह हल्के शस्त्रों से लैस है लेकिन जरूरत पड़ने पर इसकी क्षमता दस गुना तक बढ़ाई जा सकती है।

4. आईएनएस शक्ति- भारतीय नौसेना के नवरत्नों में से एक आईएनएस शक्ति अत्याधुनिक हथियारों से लैस है। यह युद्धपोत रडार और सेंसर से भी पूरी तरह लैस है। कुछ ही पलों में दुश्मन के नापाक इरादों को नेस्तनाबूद करने में सक्षम

अमेरिकी युद्धपोत जॉन एस मैक्केन- अमेरिकी नौसेना का गाइडेड मिसाइल से लैस विध्वंसक युद्धपोत है। ये युद्धपोत किसी भी स्थिति में दुश्मनों पर बमवर्षा करने में सक्षम है। इस दुनिया के सबसे विध्वंसक युद्धपोत में से एक माना जाता है।

ऑस्ट्रेलियाई युद्धपोत एचएमएएस बालार्ट- ऑस्ट्रेलिया का अग्रणी युद्धपोत में से एक है। इस युद्धपोत ने अब तक कई युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया है। ये विध्वंसक मिसाइलों से पूरी तरह लैस है। इसके साथ ही रडार को मात देने में सक्षम है।

जापान का जेएस ओनमी (विध्वंसक)- दुनिया के सबसे अत्याधुनिक और विध्वंसक युद्धपोतों में से एक जेएस ओनमी युद्धपोत है। ये समुद्र के नीचे रहता है और इसमें दुनिया के किसी भी युद्धपोत को विध्वंस करने की क्षमता क्षमता है। शस्त्रागारों से सुसज्जित है।

 

करीब 13 साल बाद चारों देश साथ
भारत ने इससे पहले भी कई देशों के साथ युद्धाभ्यास किया है लेकिन चार देशों के बीच 4 दिनों तक चलने वाला ये युद्धाभ्यास कई मायनों में खास है। इस युद्धाभ्यास में करीब 13 साल बाद ‘क्वाड’ गठगंधन के चारों देश यानी की भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक साथ युद्धाभ्यास करते नजर आ रहे है। भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच युद्धाभ्यास 1992 में शुरू हुआ था। इसके बाद साल 2015 में जापान भी इस युद्धाभ्यास में शामिल हो गया। वहीं, 2007 में ऑस्ट्रेलिया ने भी इसमें हिस्सा लिया था लेकिन बाद में वह दूर हो गया था। हालांकि, अब ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच तनातनी जारी है। जिस वजह से ऑस्ट्रेलिया एक बार फिर इस युद्धाभ्यास का हिस्सा बन गया है।

चीन की टेंशन
हिंद महासागर में पहली बार क्वाड देश के बीच युद्धाभ्यास हो रहा है। इस युद्धाभ्यास में चारों देशों का एक ही उद्देश्य है और वो दक्षिण चीन सागर को चीन के चंगुल से निकालना। क्वाड देश अंतरराष्ट्रीय समुद्र में सबके लिए आवाजाही बनाए रखना चाहते है लेकिन दक्षिण चीन सागर पर चीन अपने नजर बनाए बैठा है। वह धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय समुद्र पर कब्जा करने की कोशिश में लगा है। जिसके जरिए वह अन्य देशों के मुक्त आवागमन को रोक देगा। लेकिन चीन के इसी प्रभाव को रोकने के लिए चारों देशों की नौसेनाएं युद्धाभ्यास कर रही है। जिस वजह से चीन काफी टेंशन में आ गया है। चीन को अब महसूस होने लग गया है कि इस युद्धाभ्यास के सहारे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि क्वाड देशों के युद्धाभ्यास से यह सुनिश्चित होगा कि हिंद महासागर क्षेत्र और आसपास के अन्य सभी महासागर में बिना किसी डर के आने जाने की पूर्ण स्वतंत्रता हो। महासागरों पर कब्जा करने की कोशिश में जुटे देशों के लिए यह संदेश है।

चीन की आस
चीन ने अपनी चिंता के बीच उम्मीद जताई है कि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच चीर दिनों तक जारी ये युद्धाभ्यास क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के विरुद्ध नहीं बल्कि उसके अनुकूल होगा। इस युद्धाभ्यास पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेंबिन की तरफ से कहा गया कि आशा करते है कि प्रासंगिक देशों का सैन्य अभियास इस क्षेत्र की शांति और स्थायित्व के विरुद्ध नहीं होगा। बल्कि उसके अनुकूल होगा। बता दें कि भारत ने पिछले महीने की इस बात की घोषणा की थी कि ऑस्ट्रेलिया भी मालाबार में होने वाले युद्धाभ्यास का हिस्सा होगा। ऑस्ट्रेलिया के इस कदम से ही क्वाड गठबंधन देशों के बीच युद्धाभ्यास संभव हो पाया है।