सुहागिनों का पर्व करवा चौथ इस साल 4 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन शादी शुदा महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं. इससे ना केवल अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद उन्हें मिलता है बल्कि पति-पत्नी के बीच प्यार भी बढ़ता है. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है. इस दिन मिट्टी के करवे में जल भरकर उसकी भी पूजा की जाती है और फिर शाम को चांद को उसी करवे से जल अर्पित किया जाता है. जिसके बाद यह व्रत पूरा माना जाता है.
दिन में माता करवा की पूजा विवाहित महिलाएं करती हैं. और फिर वो शाम होने का इंतज़ार करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब रात को चंद्रमा की पूजा की जाती है तो इस दौरान एक विशेष मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी होता है. अपनी इस रिपोर्ट में हम उसी मंत्र के बारे में बता रहे हैं.
चंद्र पूजन के दौरान जपे यह मंत्र
नारदपुराण में बताया गया है कि रात के समय चंद्रमा को जल अर्पण के दौरान यह मंत्र जाप करना चाहिए. मंत्र है- ”सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम, मम पूर्वकृतं पापं औषधीश क्षमस्व मे। जिसका अर्थ है – मन को शीतलता पहुंचाने वाले, सौम्य स्वभाव वाले ब्राह्मणों में श्रेष्ठ, सभी मंत्रों एवं औषधियों के स्वामी चंद्रमा मेरे द्वारा पूर्व के जन्मों में किए गए पापों को क्षमा करें। मेरे परिवार में सुख शांति का वास हो।
महिलाएं करती हैं सोलह श्रृंगार
इस दिन महिलाएं पूरी तरह से सज धज कर करवा माता और देवी पार्वती की पूजा करती हैं. नवविवाहिता पूरे सोलह श्रृंगार कर पूरी श्रद्धा के साथ इस व्रत को पूरा करती हैं और सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद मांगती है.
द्रौपदी ने भी किया था ये व्रत
ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी ने भी इस व्रत को किया था. वो भी भगवान श्री कृष्ण के सुझाव से. जिसके बाद पांड़वों को कुरुक्षेत्र के युद्ध में जीत मिली थी. रामचरितमानस के लंका काण्ड में भी इस बात का ज़िक्र है कि जो पति-पत्नी किसी भी कारणवश एक दूसरे से बिछुड़ जाते हैं, वो महिलाएं चंद्रदेव की पूजा करती हैं और कहती है कि ऐसा कभी ना हो कि उन्हें अपने सुहाग से बिछड़ना पड़े.