प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के आणंद में आयोजित कॉन्क्लेव ऑन नेचुरल फार्मिंग में हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) भी शामिल हुए. कार्यक्रम में बोलते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि आगरा में ताजमहल का निर्माण करने वाले कारीगरों के हाथ काट दिए गए थे, लेकिन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण करने वाले कारीगरों का फूल बरसाकर स्वागत करके एक नए आयाम को देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिया गया.
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘जहां तक कृषि और किसान का सवाल है. गुजरात खेती के लिहाज से बहुत प्रांत नहीं माना जाता था, सिंचाई की दृष्टि से भी अच्छा प्रांत नहीं माना जाता था. पीने के पानी की कमी भी गुजरात में थी. सरकारें तो बहुत आईं और गईं. मुख्यमंत्री बहुत आए और गए. लेकिन नरेंद्र मोदी जी ने गुजरात में पानी की आपूर्ति भी बढ़ाई और खेती को भी समृद्ध बनाया.’ तोमर ने आगे कहा, ‘गांधी और पटेल के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक पहचान हासिल की है. एक समय था जब भारत की अनदेखी की जाती थी लेकिन आज भारत की सहमति के बिना कोई भी देश का एजेंडा पूरा नहीं होता है.’
‘किसानों की आय को बढ़ाने के लिए उठाए गए कई कदम’
वहीं, पीएम मोदी ने कहा, ‘आज करीब-करीब 8 करोड़ किसान देश के हर कोने से टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए हैं. कृषि सेक्टर, खेती-किसानी के लिए आज का दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण है. मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरूर जुड़ें. आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सब हम सबने बहुत बारीकी से देखा है. अब आजादी के 100वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है.’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाजार तक, किसानों की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं. मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, अनेक कदम उठाए हैं. ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइज़र ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है. लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा.’
‘खेती को प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा’
उन्होंने कहा,’इससे पहले खेती से जुड़ी समस्याएं भी विकराल हो जाएं उससे पहले बड़े कदम उठाने का ये सही समय है. हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा. जब मैं प्रकृति की प्रयोगशाला की बात करता हूं तो ये पूरी तरह से विज्ञान आधारित ही है. आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही ‘back to basic’ की ओर बढ़ रही है. इस Back to basic का मतलब क्या है? इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना. हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है.’