उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों व एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर 5 किलोमीटर के दायरे की बसावटें चालू वित्त वर्ष में ही संपर्क मार्गों से जोड़ी जाएंगी। इसके लिए पीडब्ल्यूडी मुख्यालय सर्वे करवा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि 250 या उससे अधिक आबादी वाले सभी गांव इस योजना में शामिल किए जाएंगे। वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि पूर्व में अन्य पार्टियों की सरकारों में इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि हाई-वे और एक्सप्रेस-वे के किनारे के गांव सड़क से जुड़े हैं या नहीं।
तमाम गांवों के लोगों को सड़कों के अभाव में हाईवे पर आने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। हमारी सरकार आई तो इन दुश्वारियों को दूर करने का बीड़ा उठाया। काफी काम हो चुका है। जो बसावटें अभी तक नहीं जुड़ी हैं, उन्हें जल्द ही संपर्क मार्गों से जोड़ दिया जाएगा। पीडब्ल्यूडी के पास नव निर्माण व विशेष मरम्मत मद में बजट भी उपलब्ध है। बारिश के तत्काल बाद इस योजना पर काम शुरू हो जाएगा। पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष राकेश सक्सेना के अनुसार सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है। हम जल्द ही बताने की स्थिति में होंगे कि ऐसे कितने गांव हैं जो अभी तक पक्की सड़कों से नहीं जुड़े हैं। वहीं प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 11 हजार 487 किमी है।
इसके अलावा यमुना और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे चालू हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन हैं। गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए भी जमीन अधिग्रहण का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है। बड़ी सड़कों के इर्द-गिर्द के गांवों तक सड़कें न होने से आम तौर पर ये विकास से अछूते रह जाते हैं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने इन्हें संपर्क मार्गों से जोड़ने की योजना बनाई है। बता दें कि बीते वर्ष चालू वित्त वर्ष में उत्तर प्रदेश ने सबसे अधिक 21.45 लाख नए मनरेगा जॉब कार्ड जारी किये थे।