बहादुरी और देश की सेवा कमीशन्ड नौकरी नहीं देखती. फौज नौकरी नहीं है. वो आपसे सच्ची हिम्मत, अनुशासन और सेवा भाव मांगती है. फौज में जाना एक स्वेच्छा भाव है. जो जाना चाहता है, वो जाए. जो नहीं चाहता वो न जाए. ये बात तो देश के कई पूर्व जनरल भी बोल चुके हैं.
दुश्मन के सामने सीना तानकर खड़े रहना हो. उसके घर में घुसकर उसे मारना हो. तब मोर्चे पर सामने आते हैं वो जवान जो नॉन-कमीशन्ड या जूनियर कमीशन्ड होते हैं. वो ये नहीं देखते कि इस काम में उनकी जान बचेगी या नहीं. कुछ इसी तरह की नॉन या जूनियर कमीशन्ड भर्ती होगी अग्निपथ स्कीम (Agnipath Scheme) के तहत अग्निवीरों (Agniveer) की.
‘परमवीर’ सुविधाएं नहीं, सर्वोच्च ‘सफलता’ देखते हैं
अग्निवीरों (Agniveer) के लिए फौज में चार साल सेवा करने के बाद नौकरी, आरक्षण, पढ़ाई के मौके और स्किल डेवलपमेंट के ऑफर आ रहे हैं. हजारों फौजियों ने देश के अलग-अलग ऑपरेशंस, युद्धों और मिशन में अपनी जान गंवाई है. मरने के बाद या फिर जीवित रहते हुए उन्हें कई बहादुरी सम्मान मिले हैं. सर्वोच्च बलिदान के लिए सर्वोच्च सम्मान यानी परमवीर चक्र से भी नवाजे गए हैं. इन जवानों ने कभी लंबी नौकरी, रिटायरमेंट के फायदे या सुकून की जिंदगी नहीं सोची या मांगी थी. पहले तो उतनी सुविधाएं, ट्रेनिंग कोर्सेस, सिक्योरिटी आदि नहीं थे. अब मिल रहे हैं.
ये सुविधाएं मिलने वाली हैं देश के नए अग्निवीरों को
अग्निवीरों (Agniveer) के लिए IGNOU सिविलियन करियर के लिए कस्टमाइज्ड डिग्री कोर्स करा रही है. फौज में काम करते समय ही आप एंटरप्रेन्योरशिप या सिविलियन जॉब के लिए स्किल इंडिया सर्टिफिकेशन हासिल कर सकते हैं. स्वरोजगार के लिए स्किल-अपग्रेडेशन पर क्रेडिट फैसिलिटी मिल रही है. मुद्रा और स्टैंड अप इंडिया जैसी स्कीम की सुविधाएं भी मिल रही हैं. पब्लिक सेक्टर के बैंक, इंश्योरेंस कंपनी और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस उपयुक्त क्रेडिट देने को तैयार हैं.
भारतीय तट रक्षक, अन्य डिफेंस फोर्सेस समेत 16 डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट्स में अग्निवीरों (Agniveer) के लिए 10 फीसदी आरक्षण दिया गया है. सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स और असम राइफल्स में अग्निवीरों के लिए 10 फीसदी आरक्षण है. राज्यों की पुलिस भर्ती में अग्निवीरों को वरीयता दी जा रही है. इसके अलावा अग्निवीरों के लिए तीन साल का स्किल बेस्ड बैचलर डिग्री प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है. इसके बावजूद भी देश में ‘परमवीर’ बनने के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा है. अग्निवीर बनने से पहले ही विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
बहादुरी का ‘सर्वोच्च सम्मान’ हासिल करने वाले बहादुर योद्धा
ये हैं वो सर्वोच्च सम्मान हासिल करने वाले ‘परमवीर’, जो नॉन या जूनियर कमीशन्ड थे. स्वेच्छा से गए थे फौज में. 1947 से 48 में हुआ भारत-पाक युद्ध के समय नायक जदूनाथ सिंह, राजपूत रेजिमेंट, 6 फरवरी 1947, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह, राजपुताना राइफल्स, 17 जुलाई 1948 और लांस नायक करम सिंह, सिख रेजिमेंट, 13 अक्टूबर 1948, भारत-पाक युद्ध. भारत-चीन युद्ध में सूबेदार जोगिंदर सिंह, सिख रेजिमेंट, 23 अक्टूबर 1962. वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्धा में कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, द ग्रैनेडियर, 10 सितंबर 1965. साल 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में लांस नायक अलबर्ट एक्का, ब्रिगेड ऑफ द गार्डस, 3 दिसंबर 1971. श्रीलंका में हुए ऑपरेशन पवन में साल 1987 में नायब सूबेदार बना सिंह, जेएंडके इन्फैन्ट्री. साल 1999 में हुए करगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल की लड़ाई के लिए ग्रैनेडियर योगिंदर सिंह, द ग्रैनेडियर और राइफलमैन संजय कुमार, जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स.