दिल्ली सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों, खाना डिलीवर करने वालों और कैब सुविधा देने वालों को पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल का आदेश देने वाली है, इसके अलावा पेट्रोल पंप्स पर बिना पीयूसी सर्टिफिकेट के इन वाहनों को पेट्रोल ना देने की बात भी कही जाएगी, ये जानकारी दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने दी है.
बता दें कि दिल्ली में फैले प्रदूषण का 38 प्रतिशत हिस्सा वाहनों द्वारा पैदा होता है. पीटीआई से बातचीत के दौरान एक अधिकारी ने बताया, “प्रदूषण घटाने के लिए सरकार बड़े कदम उठा रही है. हम स्विगी, जोमेटो, ओला, उबर जैसे एग्रिगेटर्स को पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के लिए कहेंगे. ये सुविधाएं देने वालों की दिल्ली में 30 प्रतिशत गाड़ियां हैं.”
बिना पीयूसी सर्टिफिकेट पेट्रोल ना देने का आदेश
उन्होंने आगे कहा, “हम डीलर्स और पेट्रोल पंप्स को बिना पीयूसी सर्टिफिकेट पेट्रोल ना देने का आदेश देने के बारे में भी सोच रहे हैं.” पर्यावरण रक्षा कानून के तहत इसी हफ्ते दिल्ली सरकार ये फैसला सुना सकती है. इस काम की डेडलाइन पर ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी ने कहा कि ये काम कई पड़ावों में किया जाएगा जिसके लिए हम जल्द गाइडलाइंस तैयार करेंगे. दिल्ली वाहन पॉलिसी अगस्त 2020 में पेश की गई थी जिसमें 2024 तक कुल 25 प्रतिशत वाहनों की संख्या इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखा गया था.
10,000 रुपये का चालान वाहन मालिक पर किया जाएगा
सिर्फ फ्लिपकार्ट और फेडएक्स हैं जिन्होंने क्रमशः 2030 और 2040 तक दुनियाभर में अपनी सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाने का काम शुरू कर दिया है. अक्टूबर में वाहनों के पीयूसी की जांच के लिए बड़ी संख्या में दिल्ली सरकार ने एक मुहिम चलाई थी और 500 टीम्स पेट्रोल पंपों और अन्य जगहों पर इसकी जांच में जुटी हुई थीं.
मोटर वाहन एक्ट 1993 के सेक्शन 190(2) के तहत बिना पीयूसी के वाहन पाए जाने पर 10,000 रुपये का चालान वाहन मालिक पर किया जाएगा, या फिर 6 महीने की जेल या दोनों सजा का प्रावधान है. दिल्ली के करीब 1,000 पेट्रोल पंपों पर अधिक्रत पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल की जांच केंद्र बनाए गए हैं.