पलके नम हैं..दिल उदास है..होठ खामोश है और दुआओं की बयार है। लगातार बढ़ते कोरोना के कहर के बीच अब दुआओं की लहर का सिलसिला शुरू हो चला है। कोरोना के सख्त होते तेवर अब लोगों के लिए चिंता का सबब बन रहे हैं। आलम यह है कि अब तो कोरोना के सख्त तेवर पर डब्लूएचओ ने जिस तरह की चिंता एशिया को लेकर जाहिर की है, वो यकीनन सकते में डालने वाली है। महामारी के इस दौर में भारत एक ऐसा मुल्क बनकर उभर रहा है, जहां प्रतिदिन औसतन 57 हजार मामले सामने आ रहे हैं। फिलिपिन्स में प्रतिदिन 5 हजार मामले सामने आ रहे हैं। वहीं जापान में गंभीर होती स्थिति की वजह से अब वहां पर आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। हॉन्गकॉन्ग में तो कोरोना के बढ़ते कहर के दृष्टिगत अब वहां पर एक अस्थाई अस्पताल खोलना पड़ा है। एशियाई देशों में जारी इस स्थिति को ध्यान में ऱखते हुए अब डब्लूएचओ का कहना है कि अगर यह स्थिति यूं ही बदस्तूर जारी रही तो एशिया में महामारी का दौर इतनी जल्दी खत्म नहीं हो पाएगा। इसका सिलसिला काफी लंबा चल सकता है।
लॉकडाउन की ओर लौट रहे हैं अब देश
कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से अब वहां पर हालात ऐसे बन चुके हैं कि अब यह देश लॉकडाउन की ओर वापस लौट रहे हैं। कोरोना संक्रमण के मामले में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है, तो वहीं लगातार गंभीर होती स्थिति के साथ अमेरिका लगातार पहले स्थान पर काबिज है। भारत के उन स्थानों पर लॉकडाउन का सिलसिला जारी है, जहां पर कोरोना का कहर थम नहीं रहा है। उधर, अब तो यूरोप में इस कदर स्थिति गंभीर हो चुकी है कि यूरोपीय देशों में लोग अब लॉकडाउन का विरोध कर रहे हैं। कोरोना से सबसे ज्यादा मौत अमेरिका में हुई है। इसके बाद ब्राजील का नाम आता है, जहां पर कोरोना से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है।
आर्थिक मोर्चे पर झेलनी पड़ रही शिकस्त
यहां पर हम आपको बताते चले कि कोरोना वायरस की वजह से लगातर जारी इस लॉकडाउन की वजह इन देशों को आर्थिक मोर्चे पर भी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है। फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल और इटली ने अप्रैल-जून की तिमाही में अपनी अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखी जबकि यूरोप के जीडीपी में 12.1 प्रतिशत गिरावट देखी गई। उत्तर ब्रिटेन में शुक्रवार को लाखों घरों पर नए प्रतिबंध लगा दिए गए। लॉकडाउन का नतीजा यह है कि अधिकांश विकसित देश भी अब आर्थिक शिथिलता का सामना कर रहे हैं।