विश्व आर्थिक मंच यानी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की दावोस में 22 से 26 मई तक होने वाली बैठक इस बार कुछ खास होगी. इस दौरान यूक्रेन संकट, क्लाइमेट चेंज, कोरोना महामारी जैसे पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले कई बड़े मुद्दों पर गहन मंथन होगा. करीब ढाई साल के अंतराल पर हो रही इस बैठक को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, यूरोपीय यूनियन की प्रेसिडेंट उर्सला वॉन डेर लेयेन और जर्मनी की चांसलर ओलाफ शोल्ज़ समेत कई वर्ल्ड लीडर संबोधित करेंगे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस सम्मेलन में दुनिया भर से 50 देशों और राज्यों के प्रमुख हिस्सा लेंगे. करीब 2500 से ज्यादा नेता, अधिकारी और एक्सपर्ट्स विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखेंगे. भारत की तरफ से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में बड़ी टीम वहां जा रही है. इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख लाल मांडविया और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अलावा दो मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और जगनमोहन रेड्डी शामिल हैं. महाराष्ट्र से आदित्य ठाकरे, तेलंगाना से केटी रामाराव आदि कई बड़े नेता और सीईओ भी इस बैठक में भाग लेने के लिए भारत से जा रहे हैं.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने कहा है कि इस सम्मेलन की थीम हिस्ट्री एट ए टर्निंग पॉइंट होगा. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब यूक्रेन युद्ध, कोरोना संकट और कई भू-राजनैतिक चुनौतियों ने दुनिया में अपने चंगुल में जकड़ रखा है. सम्मेलन का मकसद दुनिया में तरक्की की रफ्तार को तेज करना और चुनौतियों से निपटने की रणनीति पर मंथन करना है. इस दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के उपाय सुझाना, चौथी औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन जैसी मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती का सामना करने के रास्ते खोजने पर फोकस रहेगा.
पीटीआई के मुताबिक, ये सम्मलन मुख्य रूप से छह मुद्दों पर केंद्रित रहेगा, जिनमें वैश्विक व क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना. भू-राजनीतिक संघर्ष व तनाव के नए युग के साथ-साथ व्यापार, समृद्धि एवं साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए स्थिरता बहाल करना, आर्थिक सुधार हासिल करना और विकास के एक नए युग को आकार देना शामिल है. इनके अलावा संतुलित विकास, वैश्वीकरण एवं भविष्य में विकास की रूपरेखा बनाना, वास्तविक अर्थव्यवस्था व वित्तीय प्रणाली को स्थिर करने के उपाय करते हुए स्वस्थ व समतामूलक समाज के निर्माण पर जोर रहेगा. सम्मेलन में इस बात पर भी चर्चा होगी कि कोरोना महामारी की हेल्थ इमरजेंसी से आगे बढ़ते हुए भविष्य की बीमारियों के मद्देनजर स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे मजबूत बनाया जाए. अच्छी नौकरियों, जीवन यापन, कौशल और शिक्षा में निवेश पर भी चर्चा होगी.