बांग्लादेश की शिक्षा मंत्री ने भारत को अल्पसंख्यकों के हितों को लेकर नसीहत दी है. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची शिक्षा मंत्री ने भारत में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने की अपील की. बांग्लादेश की शिक्षा मंत्री दीपू मोनी ने इंडिया फाउंडेशन के इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव में ‘इंडिया2047’ नामक सत्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय क्षेत्र के किसी भी हिस्से में एक अलग भाषा या संस्कृति वाले अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा कर उन्हें बचाया जा सकता है.
बांग्लादेशी शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों के प्रभाव से बचाकर तनाव और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को टाला जा सकता है. यह नियम सभी देशों पर लागू होते हैं. उन्होंने कहा कि धर्म की स्वतंत्रता और धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता पर संविधान के प्रावधानों को निष्पक्ष रूप से लागू करके सांप्रदायिक सद्भाव और शांति कायम हो सकती है. अपने संबोधन के दौरान दीपू मोनी ने कहा कि भारत के सामाजिक ढांचे ने न केवल कमजोर वर्गों को वंचित किया, बल्कि विभाजनकारी नीतियों और दृष्टिकोणों को बढ़ने में मदद की. वंचित लोगों की गरिमा की रक्षा करने और उन्हें शोषण से बचाने से वे समाज में एक नई ताकत के रूप में उभर सकते हैं. वे भी प्रगति में समान भागीदार बन सकते हैं.
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि धर्म और धार्मिक रीतियों को फॉलो करने की स्वतंत्रता देकर, संविधान के प्रावधानों का निष्पक्ष इस्तेमाल कर सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत किया जा सकता है. इससे शांति भी स्थापित की जा सकती है. भारत को ग्लोबल पावर बनने के लिए संविधान की स्थापना करने वाले अपने संस्थापक सदस्यों के सपनों को साकार करना होगा. दीपू मोनी ने आगे कहा कि देशवासियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करके भारत एक मंच तैयार कर सकता है. खासतौर पर समाज के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए.