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UN की रिपोर्ट : म्यांमार से अबतक 15 हजार रोहिंग्या भारत में कर चुके हैं प्रवेश

म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों और अल्पसंख्यकों एक रिपोर्ट में गुटेरस ने कहा कि एक फरवरी को हुए तख्तापलट से पहले म्यांमार में तीन लाख 36 हजार लोगों को विस्थापित किया गया था. तख्तापलट के बाद से अब हिंसा के कारण करीब दो लाख 20 हजार लोग आतंरिक रूप से विस्थापित हो चुके हैं. (सभी फोटो- AP) संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के अध्यक्ष एंतोनियो गुटेरस (Antonio Guterres) ने महासभा की बैठक के दौरान चौंकाने वाला खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि म्यांमार में तख्तापलट (Myanmar coup)के बाद से अबतक 15000 से ज्यादा (Rohingyas) भारतीय सीमा (India) में प्रवेश कर चुके हैं.

अपनी रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि म्यांमार के सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य टकराव के चलते थाईलैंड, चीन और भारत पर असर पड़ा है. सीमावर्ती इलाकों में जातीय संघर्ष शुरू हो गया है, जो चिंता बढ़ाने वाली बात है. म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों और अल्पसंख्यकों एक रिपोर्ट में गुटेरस ने कहा कि एक फरवरी को हुए तख्तापलट से पहले म्यांमार में तीन लाख 36 हजार लोगों को विस्थापित किया गया था. तख्तापलट के बाद से अब हिंसा के कारण करीब दो लाख 20 हजार लोग आतंरिक रूप से विस्थापित हो चुके हैं.

इसके अलावा 15 हजार से ज्यादा लोग भारतीय सीमा में प्रवेश कर गए हैं, तो करीब सात हजार लोग थाईलैंड जा चुके हैं. यह रिपोर्ट 15 अगस्त, 2020 से 14 अगस्त, 2021 तक की अवधि तक की बताई जा रही है. चौंकाने वाली बात यह है कि म्यांमार भारत के साथ करीब 1600 किलोमीटर की बिना किसी तार या बाड़े वाली सीमा साझा करता है, जहां पर किसी भी प्रकार की सुरक्षा का प्रबंध नहीं है. इसके अलावा बंगाल की खाड़ी में एक समुद्री सीमा म्यांमार से जुड़ती है. उत्तर-पूर्व में अरुणाचलय प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर व मिजोरम की सीमा भी म्यांमार के साथ मिलती हैं।

गुटेरस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सेना के द्वारा सत्ता में आने के बाद से आंग सान सू व अन्य नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है. 2015 में राष्ट्रव्यापी युद्धविराम समझौते के तहत आने वाले क्षेत्रों के साथ पूरे म्यांमार में तनाव बढ़ गया है. पिछले दिनों म्यांमार में तख्तापलट के बाद सैन्य सरकार के खिलाफ संघर्ष करने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय एकता सरकार (एनयूजी) ने देशव्यापी विद्रोह करने का ऐलान कर दिया है. एनयूजी के इस निर्णय के बाद म्यांमार में फिर हालात बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है.