भारत की अदिति अशोक ने टोक्यो ओलिंपिक में उम्मीदों से परे प्रदर्शन किया और देश भर के फैंस को अपना मुरीद कर लिया. टोक्यो ओलिंपिक से पहले जिस खेल के बारे में लोग नाम से ज्यादा कुछ नहीं जानते थे, अदिति के कारण आज उसे देखने लगे हैं. अदिति महज 23 साल की उम्र में भारत में इस खेल की पोस्टर गर्ल बन गई हैं. टोक्यो में उनके इस सफर में हर कदम पर उनका साथ देती दिखाई दीं उनकी मां.
अदिति ओलिंपिक में अपनी मां के साथ पहुंची हैं. अदिति के साथ-साथ उनकी मां महेश्वरी अशोक भी पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है. वह इन खेलों में केवल एक मां ही बल्कि एक साथी बनकर हर मुश्किल समय में अदिति के साथ नजर आईं जिससे यह युवा खिलाड़ी कम दबाव महसूस करती हैं. टोक्यो ओलिंपिक में अदिति की कैडी उनकी मां ही हैं.
टोक्यो ओलिंपिक में मां बनी कैडी
अदिति के गोल्फ के सफर में उनके माता-पिता का काफी अहम रोल रहा है. पांच साल की उम्र में जब अदिति ने गोल्फ सीखने की जिद की तो बेटी का साथ देने के लिए माता-पिता ने गोल्फ खेलना सीखा. आज उनका यह फैसला अदिति के लिए वरदान साबित हो रहा है. अदिति ने टोक्यो ओलिंपिक में अपनी मां को ही अपना कैडी बनाया है. कैडी वह शख्स होता है जो गोल्फर के साथ-साथ उसका बैग और किट उठाकर घूमता है. ज्यादातर समय पर खिलाड़ी ऐसे शख्स को कैडी चुनते हैं जो उनपर दबाव कम कर सके.
रियो ओलिंपिक में पिता ने उठाई थी जिम्मेदारी
साल 2016 के रियो ओलिंपिक में जब अदिति पहली बार खेलों के महाकुंभ में शामिल हुईं थी तो उनके पिता उनके कैडी बने थे. हर समय वह अदिति के साथ रहते और उनका हौंसला बढाते. अदिति को इससे काफी मदद मिली. वह चाहती थी कि पिता की ही तरह उनकी मां को भी यब सब देखने को मिले. यही कारण था कि टोक्यो ओलिंपिक के लिए जब उन्होंने क्वालिफाई किया तो अपनी मां को ही अपना कैडी बना लिया. मां-बेटी की यह जोड़ी काफी हिट साबित हुई. अदिति खुद भी मानती हैं कि अपने पिता की तुलना में वह मां के साथ कम दबाव में होती है.