पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और उन्हीं के भतीजे अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) के बीच जारी टेंशन ने शनिवार को महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया है. अभिषेक बनर्जी और ममता बनर्जी के समर्थकों के बीच एक दूसरे के समर्थन में किए जा रहे पोस्ट के बीच आज शनिवार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने आवास पर आपातकालीन बैठक हुई. बैठक में 20 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन का ऐलान किया गया, हालांकि कार्यकारिणी में अभिषेक बनर्जी सहित पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं को जगह दी गयी है, लेकिन महत्वपूर्ण है कि आज पदाधिकारियों के नामों का ऐलान नहीं किया गया है. टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी ने कहा कि पदाधिकारियों के नामों का ऐलान पार्टी चेयरमैन ममता बनर्जी शीघ्र करेंगी. इस बीच, राष्ट्रीय कमेटी की पूरा काम देखेगी. इसके साथ ही यह सवाल उठा है कि क्या अभिषेक बनर्जी राष्ट्रीय महासचिव रहेंगे या नहीं. इसे लेकर बाजार में चर्चा शुरू हो गई है. पदाधिकारियों के चयन का दायित्व पार्टी चेयरपर्सन ममता बनर्जी को सौंपा गया है. ममता बनर्जी ही पार्टी पदाधिकारियों के नामों का ऐलान बाद में करेंगी.
बता दें कि आज ही इस बैठक के पहले पहले अभिषेक बनर्जी और ममता बनर्जी के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई है जिसके बाद माना जा रहा है कि दोनों के रिश्ते पर जमी बर्फ गल रही है. शाम 5:00 बजे होने वाली बैठक से पहले ही अभिषेक बनर्जी कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री के आवास पर शाम 4:00 बजे के करीब पहुंच गए थे उसी समय ममता और अभिषेक के बीच बैठक हुई है. बैठक समाप्त होने के बाद भी अभिषेक बनर्जी कालीघाट स्थित आवास पर काफी समय तक रहे.
“एक व्यक्ति एक पद” की मांग से मचा हंगामा
दरअसल कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी में “एक व्यक्ति एक पद” की नीति लागू कराने के लिए अभिषेक कई बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संकेत दे चुके थे लेकिन इस पर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे थे जिससे नाराज होकर वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा देने वाले थे. इसी बीच अभिषेक के समर्थन में ममता बनर्जी के परिवार के कई लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. इसके अलावा राज्य के अन्य नेता मंत्री और सांसद भी अभिषेक का समर्थन करने लगे थे.
अभिषेक और ममता बनर्जी के बीच दरार
दूसरी और ममता बनर्जी सीधे अभिषेक से इस बारे में बात ना कर अपने करीबी मंत्री फिरहाद हकीम और अन्य नेताओं के जरिए यह कहलवा रही थीं कि पार्टी एक व्यक्ति एक पद की नीति का समर्थन नहीं करती और ना ही इसके पक्ष में चलाए जा रहे अभियान को बर्दाश्त करेंगे. इसलिए ममता और अभिषेक के बीच दूरियां और बढ़ती जा रही थीं और खबर थी कि दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर रहे हैं. इस बीच शनिवार को ममता ने इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए आपातकालीन बैठक बुलाई थी और इस बैठक से पहले अभिषेक बनर्जी के साथ उनकी बैठक बड़ा संकेत माना जा रहा है.