पंजाब विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने आज नई पहल करते हुये पंजाबी भाषा को गुग्गल प्लेटफार्म जैमिनी एआई पर शामिल कराने के लिए अलग-अलग विभागों और पंजाबी बुद्धिजीवियों के साथ विचार-विमर्श किया और पंजाबी भाषा के डेटा की उपलब्धता छह महीनों में कराने के लिए रोड मेप तैयार करन पर ज़ोर दिया।
आज यहां पंजाब विधान सभा सचिवालय में मीटिंग के दौरान संधवां ने चिंता जाहिर करते हुये कहा कि गूगल ने अपने एआई. (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) प्लेटफार्म पर ताजा जारी जैमिनी आई एप पर गुजराती, मराठी आदि भाषाओं को तो शामिल किया है परन्तु पंजाबी को इसमें शामिल नहीं किया। उन्होंने बताया कि गूगल ने पंजाबी भाषा को इसलिए एआई प्लेटफार्म पर शामिल नहीं किया क्योंकि पंजाबी का शब्द भंडार/ डाटा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा को उसकी जगह दिलाने के लिए पंजाबी का डाटा जल्दी तैयार करके ऑनलाईन अपलोड करना ज़रूरी बन गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले छह महीनों में यह कार्य मुकम्मल कर लिया जायेगा जिससे पंजाबी भाषा भी अन्य 9 भाषाओं की तरह गुग्गल के ए. आई. प्लेटफार्म पर शामिल हो सके।
स्पीकर ने कहा कि आज का दौर मशीनी बुद्धिमानी का दौर है और इस दौर में पंजाबी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म पर शामिल करना आज के समय में बेहद ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि यदि पंजाबी इस प्लेटफार्म पर उपलब्ध नहीं होगी तो दूसरी भाषा का न तो पंजाबी में अनुवाद किया जा सकेगा और न ही पंजाबी का किसी दूसरी भाषा में अनुवाद संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि आने वाला समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का समय है। उन्होंने कहा कि मशीनी बुद्धिमानी के समय में पंजाबी भाषा के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए पंजाबी भाषा में डाटा की उपलब्धता करवानी बेहद ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि यदि यह कार्य न किया गया तो पंजाबियों को या तो हिंदी इस्तेमाल करनी पड़ेगी या किसी अन्य भाषा का सहारा लेना पड़ेगा।
स्पीकर ने आगे कहा कि पंजाबी दुनिया भर में सबसे अधिक बोली जाने वाली पहली 10 भाषाओं में शामिल है। पंजाबी बोलने वालों में लहिंदे पंजाब, चढ़दे पंजाब, भारत के अलग-अलग राज्यों और दुनिया भर के विभिन्न देशों में बसते लोगों की तरफ से बोली जाती भाषा है। उन्होंने कहा पंजाबी भाषा के अस्तित्व को बनाई रखने के लिए गुग्गल ए. आई. प्लेटफार्म पर पंजाबी का होना बेहद ज़रूरी है।
इस मौके पर प्रसिद्ध पंजाबी शायर डा. सुरजीत पातर, प्रसिद्ध पंजाबी आलोचक डा. अमरजीत सिंह ग्रेवाल के इलावा पंजाब के उच्च शिक्षा विभाग, शासन सुधार विभाग, भाषा विभाग पंजाब और पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के प्रतिनिधि शामिल हुए।