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ग्रामीणों और पुलिस के बीच ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में जमकर हुआ बवाल, पथरबाजी में सीओ चोटिल

सड़क के चौड़ीकरण की मांग को लेकर भराड़ीसैंण (गैरसैंण) विधान सभा भवन का घेराव करने जा रहे प्रदर्शनकारियों व पुलिस में तीखी झड़पे और धक्का-मुक्की हुई। पानी की बौछारों के बाद भी न मानने पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और इसी दौरान प्रदर्शनकारियों की तरफ से पथराव भी किया गया। लाठीचार्ज व पथराव में 25 से अधिक आंदोलनकारी व पुलिस वाले घायल हुए हैं। सोमवार सुबह लगभग 9:30 बजे घाट व नंदप्रयाग क्षेत्र से बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी वाहनों में सवार होकर गैरसैंण के लिए रवाना हुए।
दोपहर लगभग एक बजे जानकीचट्टी पर लगे बैरियर पर पुलिस ने इन्हें रोक दिया। कुछ देर तक दोनों तरफ से काफी धक्का मुक्की हुई। पुलिस ने पानी की बौछारें भी की, लेकिन प्रदर्शनकारियों पर इसका असर नहीं पड़ा और बेरियर को गिराते हुए पैदल ही आगे बढ़ गए। लगभग तीन किमी पैदल चलने के बाद दोपहर करीब ढ़ाई बजे प्रदर्शनकारी दिवालीखाल पहुंचे तो वहां भी पुलिस ने बैरियर लगाया हुआ था। पुलिस बैरियर के पीछे पूरी सड़क पर फैल गई और प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने लगी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों व पुलिस में काफी देर तक धक्का-मुक्की व नोक-झोक चलती रही। पुलिस की तरफ से यहां पर भी पानी की बौछारें छोड़ने पर प्रदर्शनकारियों ने बेरियर गिरा दिए।

इस बीच पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। महिलाओं के चीख-पुकार की आवाज सुनकर प्रदर्शनकारियों की तरफ से भी पुलिस पर पथराव हो गया। लभगग 15-20 मिनट तक मौके पर भगदड़ की स्थिति बनी रही और एसडीएम (गैरसैंण) कौस्तुब मिश्रा के आने के बाद प्रदर्शनकारी कुछ शांत हुए और सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। इसके बाद एसडीएम की अगुवाई में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को सीएम त्रिवेंद्र रावत से मुलाकात कराने भेजा गया। शाम करीब सवा छह बजे पुलिस ने धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर अस्थायी जेल लेकर छोड़ दिया।

आंदोलनकारी चरण सिंह ने बताया कि पुलिस ने बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया, जिसमें बसंती देवी, सरस्वती देवी, कौशल्या देवी, इंद्रेश मैखुरी, दीपक रतूड़ी, गुड्डू लाल, मधु नेगी, प्रकाश भंडारी, मनोज कुमार समेत 25 लोग घायल हुए हैं, जबकि एएसपी अरुणा भारती, सीओ विमल सिंह, कांस्टेबल कुलदीप सिंह कई पुलिस कर्मी पथराव में चोटिल हुए।

क्या है मामला
नंदप्रयाग -घाट के ग्रामीण डेढ़ लेन चौड़ी सड़क की मांग को लेकर पिछले 86 दिनों से आंदोलनरत हैं। 51 दिन से इनके क्रमिक अनशन के हो गए हैं। 1970 के दशक में यह सड़क बनी थी, लेकिन तब से चौड़ीकरण नहीं पाया। इस सड़क से 56 ग्राम पंचायतें जुड़ी है। तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने सड़क के चौड़ीकरण की घोषणा की थी, लेकिन नहीं बन पाई। थराली उप चुनाव में जीत के बाद सीएम त्रिवेंद्र रावत जब घाट में धन्यवाद रैली में शामिल हुए थे तो उन्होंने ग्रामीणों की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करने का ऐलान किया था, लेकिन इसके बाद भी सड़क का चौड़ीकरण नहीं हो पाया। इससे क्षेत्र के लोग आक्रोशित हैं।
आंदोलनकारियों को काफी समझाने की कोशिश की गई और उनसे कानून व्यवस्था हाथ में न लेने की बार-बार गुजारिश की गई। आंदोलनकारियों पर पानी की बौछार भी की गई, इसके बावजूद वे नहीं माने। लगभग 350 आंदोलनकारियों को हिरासत में लेकर अस्थायी जेल भेजा गया, जहां बाद में उन्हें छोड़ दिया गया ।