राजस्थान में 25 सितंबर को शुरू हुआ सियासी घमासान बयानबाजी के साथ एक बार फिर नए सिरे से छिड़ गया है. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के विधायक दल की बैठक रद्द करवाने वाले नेताओं पर सख्त एक्शन की मांग और गहलोत पर कटाक्ष करने के बाद सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई है. पायलट ने बुधवार को कहा कि आलाकमान को राजस्थान को लेकर अब जल्द फैसला करना चाहिए और पार्टी और संगठन से खिलाफत करने वालों पर सख्त एक्शन होना चाहिए. पायलट के तीखे हमले पर अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार किया है.
अलवर दौरे पर पहुंचे गहलोत ने कहा कि किसी को भी बयानबाजी से बचना चाहिए और आलाकमान की ओर से केसी वेणुगोपाल ने नेताओं को आपसी छींटाकशी करने के बचने की अपील की है. सीएम ने कहा कि हमें आलाकमान के आदेशों का पालन करना चाहिए.
मालूम हो कि पायलट ने मंगलवार को मानगढ़ धाम में पीएम मोदी द्वारा गहलोत की तारीफ करने पर भी तंज कसा था. पायलट ने कहा कि पीएम मोदी ने गुलाम नबी आजाद की भी तारीफ की थी जिसका नतीजा हम सभी ने देखा था. वहीं पायलट ने कहा कि पार्टी में हर किसी के लिए अनुशासन समान होना चाहिए.
हमारा लक्ष्य 2023 होना चाहिए : गहलोत
गहलोत ने कहा कि 2023 को देखते हुए ऐसी बयानबाजी से नेताओं को बचना चाहिए. हालांकि सीएम ने सचिन पायलट का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया. गहलोत ने आगे कहा कि एक तरफ हमारे नेता लाखों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं और सड़कों पर पसीना बहा रहे हैं ऐसे में हमारे सामने एक ही मकसद होना चाहिए कि सूबे और देश में जनता त्रस्त है ऐसे में हमें केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का काम करना चाहिए. गहलोत ने कहा कि हमारा लक्ष्य सरकार रिपीट करने पर होना चाहिए.
मालूम हो कि बीते सितंबर में जयपुर में विधायक दल की बैठक से पहले मंत्री शांति धारीवाल के घर विधायकों की एक समानांतर बैठक बुलाई गई थी जिसके बाद गहलोत गुट के विधायक सीएलपी मीटिंग में नहीं पहुंचे थे और इसके बाद दिल्ली से आए पर्यवेक्षक वापस लौट गए थे. वहीं पर्यवेक्षक के तौर पर जयपुर आए अजय माकन ने अगले दिन पूरे घटनाक्रम की एक रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपी थी जिसके बाद तीनों नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे और इसके बाद से ही राजस्थान में लगातार सियासी खींचतान चल रही है.