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PM मोदी ने महंगाई पर विपक्ष को दिलाई पंडित नेहरू की याद, बोले- लाल किले से कर दिये थे हाथ खड़े

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष को आड़े हाथ लिया और कहा कि जब देश में उनकी सरकार थी, उस वक्त उन्हें यह विषय उठाना चाहिए था। उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) के दौरान महंगाई पर काबू रखने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों की तारीफ की. इतना ही नहीं, महंगाई को लेकर उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के भाषण का भी एक अंश पढ़ा. दरअसल, वे लोकसभा (PM Modi Speech in Lok Sabha) में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए बहस का जवाब दे रहे थे।

महंगाई पर विपक्ष को घेरते हुए पीएम मोदी ने कहा, “विपक्ष ने यहां महंगाई का मुद्दा उठाया है, उनकी सरकार के सत्ता में रहते हुए वह उस मामले को उठाते तो अच्छा होता. महामारी में भी हमारी सरकार ने महंगाई से निपटने की कोशिश की. 2014-2020 के दौरान मुद्रास्फीति दर 5% से नीचे थी.” उन्होंने परोक्ष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर भी निशाना साधा और कहा, “कांग्रेस ने अपने ‘गरीबी हटाओ’ नारे के कारण कई चुनाव जीते, लेकिन ऐसा करने में असफल रही. फिर इस देश के गरीबों ने उन्हें सत्ता से बाहर करने के लिए वोट दिया.”

पीएम मोदी ने लोकसभा में पढ़ा पंडित नेहरू का भाषण
महंगाई को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने पंडित नेहरू के एक भाषण का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘पंडित नेहरू ने कहा था कि कोरियाई युद्ध मुद्रास्फीति का कारण बना. उन्होंने कहा था कि अमेरिका में किसी भी अशांति की वजह से भी महंगाई होती है. उन्होंने महंगाई को उसके हाल पर छोड़ दिया था.”

पीएम मोदी ने आगे कहा, “पंडित नेहरू ये बातें उस समय कह रहे थे, जब वैश्वीकरण का इतना बोलबाला नहीं था. सोचिए उस वक्त महंगाई की समस्या कितनी विकराल थी कि पंडित नेहरू जी को लाल किले से हाथ खड़ा करना पड़ा था.”

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को भी घेरा
महंगाई को लेकर विपक्ष के सवालों पर पीएम मोदी ने संप्रग सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “कांग्रेस के पी. चिदंबरम इन दिनों अखबारों में अर्थव्यवस्था पर लेख लिख रहे हैं. 2012 में, उन्होंने कहा कि जनता परेशान नहीं है जब उन्हें पानी की बोतल पर 15 रुपये और आइसक्रीम पर 20 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन जब गेहूं और चावल की कीमतों में 1 रुपये की बढ़ोतरी होती है तो जनता बर्दाश्त नहीं कर सकती है।”