कश्मीर में स्कूली टीचर रजनी बाला की हत्या के बाद पूरे देश में गम और गुस्से की लहर है. आतंकी घाटी के लोगों खासकर अल्पसंख्यक हिंदुओं में डर पैदा करने के लिए लगातार हमलों को अंजाम दे रहे हैं. निशाना बनाकर लोगों को टारगेट किया जा रहा है. मई के महीने में ही दो गैर मुस्लिम सरकारी कर्मचारियों की हत्या की जा चुकी है. पिछले एक महीने के अंदर ही आतंकी 7 हमलों को अंजाम दे चुके हैं.
ताजा मामला रजनी बाला का है. 36 साल की रजनी बाला कुलगाम के गोपालपुरा स्थित सरकारी स्कूल की टीचर थीं. वह जम्मू के सांबा जिले की रहने वाली थीं. उनके पति राज कुमार भी सरकारी टीचर हैं. हाल ही में घाटी में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की घटनाओं में बढ़ोतरी के बाद उन्होंने सरकार से सुरक्षित जगहों पर तैनाती की गुहार लगाई थी. रजनी और उनके पति का दूसरी जगह तबादले का आदेश सोमवार रात को आया.
रजनी बाला 5 साल से गोपालपुरा के स्कूल में पढ़ा रही थीं. मंगलवार को उनका स्कूल में आखिरी दिन था, लेकिन ये उनकी जिंदगी का आखिरी दिन साबित हुआ. रजनी बाला की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों में गुस्सा और बढ़ गया. सैकड़ों कश्मीरी पंडितों ने कुलगाम और श्रीनगर में हाइवे पर जाम लगाकर सरकार से सुरक्षा के पुख्ता उपाय करने की मांग की. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अगले 24 घंटे में उन्हें सुरक्षित जगहों पर नहीं ले जाया गया तो वो घाटी से पलायन करने पर मजबूर हो जाएंगे.
कश्मीर घाटी में हिंदुओं पर हमलों को लेकर केंद्र सरकार ने 6 अप्रैल को संसद में जानकारी दी थी. बताया था कि 2021 में घाटी में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या 2021 में चरम पर थी, क्योंकि 2019 के बाद से 14 हिंदुओं को निशाना बनाया जा चुका है, जिनमें चार कश्मीरी पंडित थे. ये हत्याएं घाटी में अनंतनाग, श्रीनगर, पुलवामा और कुलगाम जिलों में की गईं. 2017 में इस तरह की 11 हत्याएं हुई थीं. संसद में इन हत्याओं पर डेटा पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि पिछले पांच सालों में जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के 34 लोगों की आतंकवादियों द्वारा हत्या की जा चुकी हैं. इनमें से 11 वारदातें 2021 में हुईं.