शनिवार को बारां के कृषि उपज मंडी में आरएसएस के स्वयंसेवक सम्मेलन को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्य उन्मुख होने का गुण आवश्यक है। अपनी सुरक्षा के लिए हिंदू समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेदों और विवादों को दूर करके एकजुट होना होगा। समाज ऐसा होना चाहिए जिसमें संगठन, सद्भावना और आत्मीयता का आभास हो।
उन्होंने कहा कि समाज केवल मेरे और मेरे परिवार से नहीं बनता है, बल्कि हमें संपूर्ण समाज की चिंता करते हुए अपने जीवन में ईश्वर को प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि भारत एक ‘हिंदू राष्ट्र’ है और हिंदू शब्द का इस्तेमाल देश में रहने वाले सभी संप्रदायों के लोगों के लिए किया जाता है।
उन्होंने उल्लेख किया कि संघ का काम यांत्रिक नहीं बल्कि विचार आधारित है और दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है, जिसकी तुलना आरएसएस द्वारा किए गए काम से की जा सके। उन्होंने कहा कि संघ के मूल्य नेता से स्वयंसेवक तक और स्वयंसेवकों से उनके परिवार के सदस्यों तक पहुंचते हैं। भागवत ने कहा कि संघ में व्यक्तित्व विकास की यही पद्धति है।
कार्यक्रम में अन्य लोगों के अलावा राजस्थान क्षेत्र के संघचालक रमेश अग्रवाल, चित्तौड़ प्रांत के संघचालक जगदीश सिंह राणा, बारां विभाग के संघचालक रमेशचंद मेहता और बारां जिले के संघचालक वैद्य राधेश्याम गर्ग भी उपस्थित थे।